एक बेटे को मिली गद्दी तो दूसरे को किया दरकिनार... राजा के एक फैसले ने कैसे बना दिए दो राजकुमारों के बीच दुश्मनी?
उदयपुर न्यूज़ डेस्क, राजस्थान के उदयपुर में महाराणा प्रताप के वंशज और मेवाड़ राजघराने के दो युवराजों का विवाद देशभर में चर्चा का विषय बन गया है. संपत्ति विवाद के चलते माहौल इस तरह गर्माया कि चचेरे भाई विश्वराज सिंह मेवाड़ को सिटी पैलेस के अंदर नहीं जाने दिया और गेट बंद कर दिया. ऐसे में जब समर्थक आक्रोशित हुए और उन्होंने सिटी पैलेस में घुसने की कोशिश की तो उन पर पत्थर और बोतलें फेंकी गईं, जिससे लोग चोटिल हो गए.मेवाड़ जिसके गुणगान आज भी दुनिया करती है. महाराणा प्रताप का इतिहास आज भी इस मेवाड़ से दोहराया जाता है, लेकिन अब महाराणा प्रताप के वंशजों का संपत्ति विवाद भी खुलकर सामने आ रहा है. महाराणा प्रताप के बाद बने 19वे महाराणा भूपाल सिंह थे. महाराणा भूपाल सिंह की कोई संतान नहीं होने पर उन्होंने भगवत सिंह को गोद लिया था, जिन्हें महाराणा बनाया गया था. भगवत सिंह के दो पुत्र थे महेंद्र सिंह और अरविंद सिंह.
भगवत सिंह के दोनों बेटों के बीच प्रॉपर्टी विवाद को लेकर मामला बढ़ता गया और कोर्ट पहुंच गया जहां कुछ संपत्ति पर कोर्ट ने चार-चार साल तक का समय दिया. महेंद्र सिंह मेवाड़ के बेटे का नाम विश्वराज सिंह है. विश्वराज बीजेपी से नाथद्वारा से विधायक भी हैं और उनकी पत्नी राजसमंद से सांसद है. वहीं अरविंद सिंह के बेटे का नाम लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ है.
लीज पर दे दी कई प्रॉपर्टी
उदयपुर के आखिरी महाराणा भगवत सिंह ने 1963 से 1983 तक राजघराने की कई प्रॉपर्टी को लीज पर दे दिया, तो कुछ प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी बेच दी. इसमें लेक पैलेस, जग निवास, जग मंदिर, फतह प्रकाश, शिव निवास, गार्डन होटल, सिटी पैलेस म्यूजियम जैसी बेशकीमती प्रॉपर्टीज शामिल थीं. भगवत सिंह के ऐसा करने की वजह से ही विवाद शुरू हो गया था. पिता के फैसले से नाराज होकर महेंद्र सिंह मेवाड़ ने 1983 में भगवत सिंह के ऊपर कोर्ट में केस फाइल कर दिया.महेंद्र सिंह ने कोर्ट में कहा कि रूल ऑफ प्रीमोजेनीचर प्रथा को छोड़कर पैतृक संपत्तियों को सब में बराबर बांटा जाए. दरअसल, रूल ऑफ प्रीमोजेनीचर आजादी के बाद लागू हुआ था. इसका मतलब था कि जो परिवार का बड़ा बेटा होगा, वो राजा बनेगा. स्टेट की सारी संपत्ति उसी के पास होगी. हालांकि भगवत सिंह इस बात से नाराज हो गए और उन्होंने बेटे के केस पर कोर्ट में जवाब दिया कि इन सभी प्रॉपर्टी का हिस्सा नहीं हो सकता. ये इम्पोर्टेबल एस्टेट यानी अविभाज्य है.
प्रॉपर्टी और ट्रस्ट से कर दिया बाहर
भगवत सिंह ने 15 मई 1984 को अपनी वसीयत में संपत्तियों का एग्जीक्यूटर छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को बना दिया. 3 नवंबर 1984 को भगवत सिंह का निधन हो गया. इस दौरान महाराणा भगवत सिंह ने महेंद्र सिंह मेवाड़ को प्रॉपर्टी और ट्रस्ट से बाहर कर दिया था.महाराणा भगवत सिंह के निधन के बाद महेंद्र सिंह मेवाड़ के बड़े बेटे होने के चलते उनका महाराणा के रूप में राजतिलक किया गया. तब से यह विवाद और बढ़ गया. संपत्ति छोटे भाई के नाम और महाराणा की रस्म बड़े भाई महेंद्र सिंह मेवाड़ का नाम और अब महेंद्र सिंह मेवाड़ के बेटे विश्वराज सिंह का चित्तौड़गढ़ में रस्म के तहत राजतिलक किया गया. उसके बाद जब दर्शन करने पहुंचे तो विवाद और बढ़ गया. सिटी पैलेस के गेट बंद करने से समर्थकों में भी आक्रोश था और भारी पुलिस बल के बीच गेट बंद थे रात 2:00 बजे तक चलती रही और विश्वराज सिंह मेवाड़ उनके निवास समर बाग लौट गए.