मिलिए इन शिक्षकों से जिनके नवाचार, कड़ी मेहनत और समर्पण ने लाया बदलाव
उदयपुर न्यूज़ डेस्क, उदयपुर अगर समाज व देश में या कहीं भी किसी तरह का बदलाव देखना चाहते हैं तो वह सिर्फ शिक्षा के माध्यम से ही संभव है और ये बदलाव लाने में शिक्षकों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। शिक्षक उजाले की मशाल लेकर चलते हैं जिसके उजाले में हर विद्यार्थी को आगे की राह दिखती है। वे ना केवल अपने ज्ञान बल्कि अनुभव और अपनी सकारात्मक सोच से विद्यार्थियों को जीवन का एक लक्ष्य प्रदान करते हैं। कई शिक्षक अपने प्रयासों से स्कूलों का भी कायाकल्प कर देते हैं। कुछ ऐसे ही शिक्षक उदयपुर जिले के भी हैं, जिनके नवाचारों, मेहनत व समर्पण से स्कूलों व विद्यार्थियों के जीवन में बदलाव आए। शिक्षक दिवस पर ये शिक्षक राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान से सम्मानित होंगे।
इनसे सीखें समर्पण
स्कूल के छोटे से स्टोर रूम में रहते हैं, दिव्यांग होने के बावजूद रात-दिन स्कूल व विद्यार्थियों के लिए समर्पित - चेतन देवासी
उदयपुर जिले के आदिवासी बाहुल्य सायरा ब्लॉक में छोटे से गांव चावड़ावास जिसमें मात्र 70 घर की आबादी है वहां के रा. प्रा. वि. में कार्यरत अध्यापक चेतन देवासी ने दिव्यांग होते हुए भी विद्यालय के लिए रात-दिन मेहनत की और एक मिसाल पेश की। देवासी ने बताया कि पहले विद्यालय में भवन के अलावा कुछ भी भौतिक सुविधाएं नहीं थी, लाइट कनेक्शन भी नहीं था। ऐसे में उन्होंने विद्यालय के लिए कुछ अलग करने की ठानी। लॉक डाउन के दौरान घर आए प्रवासियों को विद्यालय से जोडकर विद्यालय में अनेक भौतिक सुख - सुविधाएं करवाई। वे खुद स्कूल में बने एक छोटे से स्टोर रूम में ही रहते हैं और दिन-रात विद्यालय व विद्यार्थियों के लिए समर्पित हैं। इनके प्रयासों की बदौलत आज सरकारी प्राथमिक विद्यालय एक निजी शिक्षण संस्थान की तरह सभी भौतिक सुख - सुविधाओं से सुसज्जित है । देवासी ने बताया कि उनके माता-पिता ने घुमंतू जीवन बिताते हुए उन्हें पढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित किया। इसलिए यह सम्मान उन्हें समर्पित है।
इनसे सीखें कड़ी मेहनत
जिस विद्यालय में गए वहां तराशे खिलाड़ी, शिक्षक का दायित्व निभाते हुए कोरोना में कोविड मृतकों का किया अंतिम संस्कार : किशन सोनी
शारीरिक शिक्षक किशन सोनी की अगस्त 2013 को प्रथम नियुक्ति उदयपुर शहर से 25 किमी. दूर उभयेश्वरजी की पहाड़ियों मे स्थित सुदूर पिपलिया गांव में हुई। 2013 से 2018 तक पिपलिया में ही जूडो और कुश्ती में अनेक राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर के मेडलिस्ट खिलाडी तराशे। 2018 में पिपलिया से राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय कालारोही, गिर्वा में स्थानांतरण हो गया। कोरोना काल में शिक्षा विभाग की विभिन्न सेवाओं को पूर्ण करने के साथ ही 70 से अधिक कोविड मृतकों का अंतिम संस्कार कराया। इसके पश्चात वर्ष 2021 से कालारोही से भी प्रति वर्ष राज्य स्तर के मेडलिस्ट खिलाडी निकाले। इनके मार्गदर्शन में उदयपुर ने जिला स्तरीय जूडो कुश्ती में वर्ष 2021 से अब तक वर्ष 2024 तक प्रति वर्ष चैंपियनशिप जीती है। वहीं, जन सहयोग से अब तक पिछले पांच वर्षों में विद्यालय में लगभग 27 लाख रुपए से अधिक के विकास कार्य करवाए।
इनसे सीखें नवाचार
5 सालों से बोर्ड का शत-प्रतिशत परिणाम, नामांकन बढ़ाने के लिए नि:शुल्क खिलौने, स्टेशनरी का किया नवाचार - डॉ. गणेशलाल कलाल
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय डाकन कोटडा में कार्यरत व्याख्याता डॉ. गणेशलाल कलाल ने पिछले 5 वर्षों में बोर्ड का 100 प्रतिशत परीक्षा परिणाम दिया है। साथ ही जनसहयोग से स्कूल के लिए 15 लाख से अधिक का कार्य कराया। इसमें विद्यालय में रंग रोगन, विद्यार्थियों के लिए फर्नीचर, प्रिंटर एवं मॉनिटर, निर्धन छात्रों को ड्रेस, स्वेटर, स्टेशनरी आदि का वितरण किया । साथ ही विद्यालय में नामांकन बढ़ाने के लिए नि:शुल्क खिलौने, स्टेशनरी, स्कूल बैग, स्वेटर, शूज उपलब्ध कराने का नवाचार किया। उन्होंने बताया कि वे मूलत: सराडा तहसील के निंबोदा गांव से हैं। 1 से 12 तक की शिक्षा स्वामी विवेकानंद उच्च माध्यमिक विद्यालय जावर माइंस स्कूल से प्राप्त की। फिर स्नातक व पीएचडी कर आरपीएससी द्वारा थर्ड ग्रेड टीचर 2005 में बने। 2015 में आरपीएससी की परीक्षा देकर व्याख्याता बने।