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Mahashivratri 2025: एक रात में ही बनकर तैयार हो गया था राजस्थान का ये अनोखा शिव मंदिर, शिवलिंग भी खुद ब खुद हो रहा बड़ा

 
Mahashivratri 2025: एक रात में ही बनकर तैयार हो गया था राजस्थान का ये अनोखा शिव मंदिर, शिवलिंग भी खुद ब खुद हो रहा बड़ा 

उदयपुर न्यूज़ डेस्क - Mahashivratri:  महाशिवरात्रि को लेकर देश में उत्साह है और शिव मंदिरों को सजाया गया है। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा की जाती है और मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह होता है। हमारे देश में कई प्राचीन शिव मंदिर हैं, जिनकी चर्चा होती है। इसी तरह राजस्थान में एक शिव मंदिर है जो देश-विदेश में प्रसिद्ध है। इस मंदिर की खासियत यह है कि इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर किया गया था। इतना ही नहीं इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर एक रात में बनकर तैयार हुआ था। इस मंदिर का नाम देव सोमनाथ मंदिर है जो राजस्थान के उदयपुर और डूंगरपुर की सीमा पर सोम नदी के तट पर बना है। कहा जाता है कि देव सोमनाथ मंदिर को पत्थरों से बनाया गया है और इसमें किसी भी ईंट, रेत, चूने और सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है।

12वीं शताब्दी में रातों-रात बना मंदिर
डूंगरपुर जिला मुख्यालय से 24 किलोमीटर दूर सोम नदी के तट पर स्थित देव सोमनाथ मंदिर वागड़ ही नहीं बल्कि देश-विदेश में भी प्रसिद्ध है। मंदिर से कई लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। माना जाता है कि सोम नदी के तट पर स्थित देव सोमनाथ मंदिर 12वीं शताब्दी में रातों-रात बना था। यहां मिले शिलालेख और इतिहासकारों का कहना है कि मंदिर का निर्माण किसी राजपूत शासक ने करवाया था, लेकिन सालों से मंदिर की पूजा-अर्चना कर रहे सेवक समाज के पुजारियों का कहना है कि मंदिर और शिवलिंग स्वयंभू हैं।

148 संगमरमर के खंभों पर टिका है मंदिर
देव सोमनाथ मंदिर तीन मंजिला है और 148 पत्थर के खंभों पर टिका है और ये पत्थर इस तरह एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। अपनी बेजोड़ संरचना और वास्तुकला के कारण यह मंदिर सभी को आकर्षित करता है। मंदिर सफेद संगमरमर के पत्थरों से बना है, हालांकि समय के साथ मंदिर के पत्थर पीले पड़ गए हैं। मंदिर के हर खंभे पर आकर्षक कलाकृतियां और उसके पत्थर पर देवी-देवताओं की मूर्तियां बनी हुई हैं। मंदिर के सभा मंडप और गुंबद पर भी आकर्षक कलाकृतियां बनी हुई हैं, जिन्हें देखकर हर कोई अचंभित रह जाएगा।

अपने आप बड़ा होता जा रहा है मंदिर का शिवलिंग
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि देव सोमनाथ मंदिर के गर्भगृह में 2 शिवलिंग हैं, जिसमें एक मुख्य शिवलिंग रुद्राक्ष आकार का है, जबकि दूसरा उसके पास स्फटिक शिवलिंग है। पुजारी बताते हैं कि दोनों शिवलिंगों का आकार धीरे-धीरे बड़ा होता जा रहा है। वह बताते हैं कि कुछ साल पहले स्फटिक शिवलिंग नींबू के आकार का था, लेकिन अब यह नारियल के आकार का हो गया है। वह बताते हैं कि मंदिर की पूजा गांव के पुजारी सेवक समाज द्वारा की जाती है।

मंदिर से परिचित लोग बताते हैं कि देव सोमनाथ मंदिर गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर बना है। कुछ लोग इसे सोमनाथ का छोटा संस्करण मानते हैं। मंदिर के पुजारी यह भी बताते हैं कि मुगलों ने गुजरात का सोमनाथ मंदिर समझकर देव सोमनाथ मंदिर पर हमला भी किया था. हालांकि, इस संबंध में अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं मिल पाए हैं. देव सोमनाथ मंदिर और भगवान शिव के प्रति आस्था के कारण देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं. यहां लोग भगवान भोले के दरबार में माथा टेकते हैं और अपनी मनोकामनाएं स्वीकार करते हैं. मान्यता है कि भगवान भोले के दरबार में जो भी मनोकामना लेकर जाते हैं, भगवान उसे पूरी करते हैं, इसीलिए मंदिर में रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. हर माह पूर्णिमा पर यहां मेले जैसा माहौल रहता है. जबकि महाशिवरात्रि के दिन यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.