महाराणा प्रताप टूरिस्ट सर्किट प्रोजेक्ट के लिए शुरू हुआ सर्किल, राजस्थान के पर्यटन में बनेगा आकर्षण का मुख्य केंद्र

उदयपुर न्यूज़ डेस्क - आने वाले पर्यटकों के लिए एक खास खबर है। महाराणा प्रताप पर्यटन सर्किट परियोजना एक साल बाद आखिरकार साकार होने जा रही है। राज्य सरकार ने इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए 100 करोड़ रुपए का बजट तय किया है। इस परियोजना के तहत महाराणा प्रताप से जुड़े ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों को विकसित करने की योजना बनाई गई है। इसके लिए गुड़गांव की एक आर्किटेक्ट फर्म को 6.30 लाख रुपए का टेंडर जारी कर कार्यादेश दिया गया है।
पर्यटकों का आकर्षण बढ़ाने के लिए बनेगी विस्तृत योजना
यह फर्म राजस्थान हेरिटेज अथॉरिटी के साथ मिलकर कॉन्सेप्ट प्लान और प्राथमिक रिपोर्ट तैयार करेगी। आर्किटेक्ट और अथॉरिटी के सदस्य चावंड, हल्दीघाटी, गोगुंदा, कुंभलगढ़, दिवेर और उदयपुर का दौरा करेंगे। इस दौरान पर्यटन स्थलों को विकसित करने, नई सुविधाएं जोड़ने और पर्यटकों का आकर्षण बढ़ाने के लिए विस्तृत योजना बनाई जाएगी।
पहले चरण में 5 स्थानों का विकास
परियोजना के पहले चरण में उदयपुर, राजसमंद और सलूंबर के पर्यटन स्थलों को जोड़ा जाएगा। राजस्थान हेरिटेज अथॉरिटी के चेयरमैन ओंकार सिंह लखावत के अनुसार, शुरुआत में दिवेर, हल्दीघाटी, गोगुंदा, चावंड और कुंभलगढ़ को टूरिस्ट सर्किट में शामिल किया गया है। इन स्थलों का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
इतिहास और विरासत को बढ़ाने का काम
पर्यटकों के लिए नई सुविधाएं और बेहतर कनेक्टिविटी इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य इन ऐतिहासिक स्थलों को विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना है। इसके तहत: पर्यटकों के लिए आधुनिक सुविधाएं जोड़ी जाएंगी। इतिहास और विरासत को बढ़ाने का काम किया जाएगा। कनेक्टिविटी को बेहतर बनाया जाएगा, ताकि पर्यटक आसानी से पहुंच सकें। सरकार का लक्ष्य इन स्थलों को ऐतिहासिक पर्यटन के केंद्र में बदलना है, ताकि देश-विदेश से ज्यादा से ज्यादा पर्यटक यहां आ सकें।
2005 में बनी थी योजना, अब नए रूप में लौट रही
महाराणा प्रताप से जुड़े पर्यटन स्थलों को विकसित करने की योजना 2005 में 'मेवाड़ कॉम्प्लेक्स सर्किट' के नाम से बनाई गई थी। इस परियोजना को केंद्र सरकार की वित्तीय सहायता से शुरू किया गया था। पहले दो चरण पूरे होने के बाद अब इसका नाम बदलकर 'महाराणा प्रताप टूरिस्ट सर्किट' कर दिया गया है। इस परियोजना का उद्देश्य मेवाड़ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना तथा इसे प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना है। तीसरे चरण के तहत अब सरकार इसे व्यापक स्तर पर लागू करने जा रही है, जिससे राजस्थान के पर्यटन क्षेत्र में और अधिक समृद्धि आएगी।