"फतेह सागर झील" छलकने को तैयार, Udaipur में रंग-बिरंगी रौनक
उदयपुर न्यूज़ डेस्क, पूरी दुनिया में उदयपुर की पहचान लेकसिटी के नाम से मशहूर है. इसकी वजह हैं यहां की खूबसूरत झीलें. जो इस शहर को लग पहचान दिलाती हैं. उदयपुर में कई झीलें हैं और उनमें से एक है फतेह सागर झील. जो शहर के बीचो-बीच बनी है. पहाड़ों से घिरी इस झील का सौन्दर्य देखने लायक होता है. राजस्थान में इस बार मानसून की मेहरबानी से यह काफी हद तक भर गई है. एक दो अच्छी बारिश के बाद यह झील पूरी तरह भर जायेगी. इसके छलकने का समय आ गया है. शहर की इस झील को देखकर लोगों को कश्मीर की याद आती है इसी वजह से उदयपुर को दूसरा कश्मीर कहा जाता है. इसका प्रमुख कारण झील के नीला और साफ़ पानी है.
झील के अन्दर है टापू
झील के पास एक तरफ मोतीमगरी है जहां पर महाराणा प्रताप स्मारक है वहीं दूसरी तरफ की पहाड़ी पर उदयपुर की वैष्णोदेवी नीमच माता का मन्दिर है.
झील के अन्दर एक टापू पर नेहरू गार्डन है जो कि अपनी अलग ही पहचान रखता है. उदयपुर आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है और बोट से यहां पर जाया जाता है.
दूसरे टापू पर है विश्वविख्यात सौर वेद्यशाला
दूसरे टापू पर विश्वविख्यात उदयपुर सौर वेद्यशाला है जो सूर्य पर हो रही गतिविधियों पर नजर बनाये रखती है. इसके तीसरे टापू पर एक विशाल जल जेट फव्वारा लगा हुआ है जो पर्यटकों को आकर्षित करता है. झील की चारों ओर प्राकृतिक सौंदर्य दिखाई देता है. आसपास का वातावरण भी बहुत शांतिपूर्ण होता है. इसी वजह से पर्यटक व उदयपुर की आम जनता यहां पर आकर प्राकृतिक सौन्दर्य आनंद उठाते है.
महाराणा जगतसिंह ने बनवाई थी फतेहसागर झील
फतेहसागर झील को महाराणा जगतसिंह ने बनवाया था. बाद में महाराणा फतेह सिंह ने इसको दोबारा तैयार करवाया था. उन्हीं के नाम पर इस झील का नाम रखा गया था.1687 में इसका निर्माण पूरा हुआ था. उदयपुर और आसपास में कृषि और पेयज सुविधाओं के लिए इस झील के पानी का उपयोग किया जाता था. यह झील 18 फीट गहरी है. झील 3 टापू से जुड़ती है. यहां एक सालों पुराना मंदिर भी बना है.