हर कोशिश नाकाम! और भी विकराल होती जा रही सज्जनगढ़ सेंचुरी की आग, 3 दिन में इतना हेक्टेयर जंगल जलकर ख़ाक

उदयपुर न्यूज़ डेस्क - सज्जनगढ़ अभ्यारण्य में मंगलवार को लगी आग ने गुरुवार को विकराल रूप ले लिया। तेज हवाओं के कारण आग सज्जनगढ़ के आसपास की पहाड़ियों में तेजी से फैल गई। दोपहर 12 बजे यह रामपुरा चौराहे से उबेश्वर रोड के पास पहुंच गई। इस पर प्रशासन ने बायोपार्क से सटे 6 मकानों को खाली करा लिया। घरों से एलपीजी सिलेंडर, मवेशी व अन्य जरूरी सामान भी बाहर निकाला गया। सज्जनगढ़ की पहाड़ियों में उठ रही आग की लपटें शहर के लगभग हर कोने से दिखाई दे रही थीं। खतरे को देखते हुए सुबह 10 बजे के बाद किले व बायोपार्क में पर्यटकों का प्रवेश बंद कर दिया गया। जो लोग पहले से मौजूद थे, उन्हें भी बाहर निकाला गया।
दूसरी ओर, सज्जनगढ़ अभ्यारण्य से बायोपार्क के वन्यजीवों की ओर तेजी से फैलती आग से अधिकारी सकते में आ गए। गनीमत रही कि कोई जनहानि नहीं हुई। आग के कारण तीन दिन में 100 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र राख हो चुका है। सांसद मन्नालाल रावत, कलेक्टर नमित मेहता और एसपी योगेश गोयल भी वहां पहुंचे। देर रात तक वन विभाग, पुलिस-प्रशासन, फायर ब्रिगेड के 100 से ज्यादा कर्मचारी अलग-अलग प्वाइंट पर आग पर काबू पाने में जुटे रहे। उधर, अभी यह पता नहीं चल पाया है कि आग की चपेट में आने से कितने जंगली जानवर और पक्षी मरे हैं। हालांकि, वन विभाग संभावना जता रहा है कि वन्यजीव घने जंगल में चले गए हैं। यह जंगल 519 हेक्टेयर यानी 519 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
आग बढ़ने की बड़ी वजह...तेज हवा-सूखी घास
तेज हवा: पिछले 3 दिनों से 30-35 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल रही है। इससे आग तेजी से फैल रही है। फायर-लाइन होने के बावजूद हवा के साथ चिंगारियां फायर-लाइन को पार कर दूसरी तरफ पहुंच रही हैं।
सूखी घास: मौसम के मुताबिक अभी जंगल में घास सूखी है। इस वजह से सतह पर आग लग रही है। पेड़ों की सूखी लकड़ियां और सूखे पत्ते भी आग को आगे बढ़ाने में मदद कर रहे हैं।
पहाड़ी क्षेत्र: अभ्यारण्य में पहाड़ और घना जंगल है। ऐसी आग ऊपर से नीचे की ओर तेजी से फैलती है। ऐसे इलाकों में फायर ब्रिगेड भी नहीं पहुंच पाती। आग बुझाना मुश्किल होता है।
आगे क्या... सेना की मदद लेनी पड़ सकती है
हेलीकॉप्टर: अगर चौथे दिन भी आग पर काबू नहीं पाया गया तो सेना के हेलीकॉप्टर की मदद लेनी पड़ेगी। क्योंकि, 19 अप्रैल 2022 को आग बुझाने के लिए सेना का हेलीकॉप्टर बुलाना पड़ा।
फायर लाइन: वन विशेषज्ञों के अनुसार, जंगल की आग से बचने में सबसे ज्यादा मददगार फायर-लाइन है। वन विभाग को ज्यादा से ज्यादा इलाकों में फायर-लाइन बनानी चाहिए। ताकि आग को फैलने से रोका जा सके।
फायर-वॉचर: कर्मचारियों की संख्या बढ़ानी होगी। उन्हें फायर-वॉचर के तौर पर काम करना चाहिए। यानी उन्हें आग पर नजर रखनी चाहिए। जहां भी आग आबादी वाले इलाके या वन्यजीवों तक पहुंचे, उसे तुरंत बुझाया जा सके।
आबादी और वन्यजीव खतरे में
आबादी: सज्जनगढ़ अभ्यारण्य के आसपास बड़ी संख्या में आबादी निवास करती है। गुरुवार को आग रामपुरा चौराहे के पास बने मकानों तक पहुंच गई थी। यहां करीब 15 मकान हैं, जिनमें 50-60 लोग रहते हैं। इनमें से 6 मकानों को आनन-फानन में खाली करा लिया गया। अगर आग फिर से बढ़ती है तो यहां बसी आबादी खतरे में पड़ सकती है। सज्जनगढ़ अभ्यारण्य से कई अन्य इलाके भी सटे हुए हैं।
वन्यजीव: गुरुवार को आग बायो पार्क की सीमा तक पहुंच गई। अभ्यारण्य और बायो पार्क के बीच बनी फायर लाइन और बाउंड्री वॉल की वजह से बड़ी घटना नहीं हुई। हवा के कारण आग की लपटें कई बार बायो पार्क तक पहुंची, लेकिन आगे नहीं बढ़ सकीं। इस पार्क में शेर, तेंदुआ, बाघ, भालू, चीतल, जंगली सूअर समेत 100 से अधिक जानवर रहते हैं। यहां प्रतिदिन 1500 पर्यटक घूमने आते हैं।
सज्जनगढ़ अभ्यारण्य में हर साल लगती है आग
2024: 18 अप्रैल को लगी आग। करीब 3 दिन की आग में 200 हेक्टेयर से ज्यादा जंगल जलकर राख हो गया।
2023: अप्रैल माह में भी लगी आग।
2022: 17 अप्रैल को लगी आग। तीन दिन तक सुलगती रही। आग बुझाने के लिए जल-थल और नभ अभियान चलाया गया। जोधपुर से सेना का हेलीकॉप्टर बुलाया गया।
सांसद ने सीएमओ को फोन कर हेलीकॉप्टर भेजने को कहा
सांसद मन्नालाल रावत गुरुवार को सज्जनगढ़ अभ्यारण्य पहुंचे। सांसद ने आग बुझाने के लिए हेलीकॉप्टर की मदद लेने का सुझाव दिया। उन्होंने मौके से सीएमओ को फोन कर हेलीकॉप्टर की व्यवस्था करने को कहा। सांसद ने अधिकारियों को सुझाव दिया कि वन विभाग को बार-बार आग लगने से बचाने के लिए जगह-जगह खाई बनानी चाहिए। साथ ही स्प्रिंकलर सिस्टम विकसित करना चाहिए, ताकि आग पर तुरंत काबू पाया जा सके।
मंगलवार देर शाम 6 बजे गौरेला पाइंट पर बंदरों के कूदने से ट्रांसफार्मर में शॉर्ट-सर्किट हुआ और आग लग गई। पहले रात को सज्जनगढ़ के ऊपरी हिस्से में किले के पास आग लगी। हवा और सूखी घास के कारण आग तेजी से फैली। बुधवार को आग करीब 500 मीटर नीचे झर महादेव तक पहुंच गई। देर रात आग पर लगभग काबू पा लिया गया। गुरुवार सुबह से चल रही तेज हवा के कारण आग फिर भड़क गई। वन विभाग की गौरेला चौकी से होते हुए यह बायोलॉजिकल पार्क तक पहुंच गई।