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'जन्म देने वाली माँ से ही डॉक्टर ने माँगा ममता का सबूत' पति से विवाद के बाद जुड़वा बच्चियों को हॉस्पिटल में छोड़ा, वापस मांगने गई तो हुआ कांड

 
'जन्म देने वाली माँ से ही डॉक्टर ने माँगा ममता का सबूत' पति से विवाद के बाद जुड़वा बच्चियों को हॉस्पिटल में छोड़ा, वापस मांगने गई तो हुआ कांड

उदयपुर न्यूज़ डेस्क, उदयपुर संभाग के सबसे बड़े महाराणा भूपाल हॉस्पिटल में एक रोचक मामला सामने आया है. यहां पति से मामूली विवाद होने पर आवेश में आई मां ने अपनी जुड़वा नवजात बेटियों को हॉस्पिटल के पालना घर में छोड़ दिया. फिर ऐसा कुछ हुआ कि कुछ ही देर बाद वह अपने दोनों जुड़वा बेटियों को लेने वापस पालना घर गई. उसने वहां के स्टाफ से बच्चियों को मांगा तो डॉक्टर ने कहा प्रूफ करो आप ही इसकी मां हो. फिलहाल दोनों जुड़वा बच्चियां बाल हॉस्पिटल में भर्ती हैं और उनका इलाज चल रहा है.

दरअसल, हुआ यूं की झाड़ोल निवासी व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ दोनों जुड़वा बेटियों को लेकर हॉस्पिटल डॉक्टर को दिखाने आया था. बच्चियां एक माह पहले ही जन्मी हैं और उनकी तबियत खराब थी. हॉस्पिटल में पति-पत्नी के बीच विवाद हो गया. विवाद के बाद आवेश में आई पत्नी ने दोनों बेटियों को हॉस्पिटल के पालना घर में रख दिया और वहां से चली गई. पालना घर में बच्ची आने का सायरन बजा. इसके बाद  हॉस्पिटल स्टाफ ने दोनों बच्चियों का हेल्थ चेकअप किया. वजन कम होने के कारण दोनों को भर्ती किया गया और स्टाफ ने दोनों को अपने कब्जे में ले लिया. 

महिला ने बच्चियों को हॉस्पिटल के पालना घर में छोड़ा

कुछ ही देर बाद महिला की सास वहां आ गई और उसने उससे बच्चियों के बारे में पूछा. इस पर महिला ने  बच्चियों को पालना घर में छोड़ने की बात बताई. इसके कुछ ही देर बाद महिला वापस  हॉस्पिटल के पालना घर में पहुंची. जुड़वा बच्चियों के वहां नहीं मिलने पर उसने स्टाफ से और फिर डॉक्टर से बात की. इस पर डॉक्टर ने कहा कि हम कैसे मान लें कि यह बच्चियां आपकी हैं. इसके लिए प्रूफ देना पड़ेगा. मां और बच्चियों की दादी ने देर तक गुहार लगाई, लेकिन कानूनी स्थिति के कारण हॉस्पिटल से मदद नहीं मिल पाई.

अब बच्चियों को वापस पाने में लगेगा समय

बता दें कि, जो भी बच्चा पालना घर में आता है, वो हॉस्पिटल, पुलिस और फिल चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के पास जाता है. बाल संरक्षण समिति से ही बच्चो के आगे की प्लानिंग की जाती है. अभी जो स्थिति आई है, उसमें माता और पिता को बच्ची के जन्म का प्रमाण देना होगा. जिस हॉस्पिटल में बच्चियों ने जन्म लिया, वहां के दस्तावेज लाने होंगे. उनकी जांच होगी और अगर इसे संतुष्टि नहीं हुई तो फिर डीएनए टेस्ट होगा. जिसमें समय लगेगा. मां ने आवेश में बच्चियों को छोड़ तो दिया, लेकिन अब उन्हें पाने में समय लग सकता है. महाराणा भूपाल हॉस्पिटल के अधिक्षक आरएल सुमन ने एबीपी न्यूज को बताया कि बच्चियां पालने में आई थीं. स्टाफ ने चेक किया तो उनका वजन एक किलो के आसपास था. इसके बाद उन्हें भर्ती किया गया. महिला बच्चियों को लेने आई थी, लेकिन कानूनी प्रक्रिया पूरी किए बिना हम बच्चों को ऐसे सुपुर्द नहीं कर सकते.