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श्री सांवलिया सेठ की दानपेटी से निकले करोड़ों, पहले चरण की गिनती में सामने आई इतनी बड़ी राशि

 
श्री सांवलिया सेठ की दानपेटी से निकले करोड़ों, पहले चरण की गिनती में सामने आई इतनी बड़ी राशि

श्रद्धालुओं की अटूट आस्था और भक्ति के प्रतीक श्री सांवलिया सेठ मंदिर के भंडार दानपात्र का द्विवार्षिक उद्घाटन शनिवार को हुआ। गिनती के पहले चरण में ही मंदिर प्रशासन को 4 करोड़ 80 लाख 27 हजार 911 रुपए का भारी भरकम दान मिला। इस अनूठे भंडार की शेष गिनती 31 मार्च 2025 को पूरी होगी। श्रद्धालुओं की आस्था के प्रतीक श्री सांवलिया सेठ राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के मंडफिया स्थित श्री सांवलिया सेठ मंदिर में लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए दान चढ़ाते हैं। मंदिर के भंडारपात्र छह माह या साल में एक बार खोले जाते हैं, जिसमें करोड़ों रुपए का दान एकत्रित होता है। यह मंदिर देशभर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है।

गिनती प्रक्रिया में सुरक्षा और पारदर्शिता
प्रशासनिक अधिकारियों, मंदिर प्रबंध समिति और पुलिस सुरक्षा के बीच दानपात्र खोला गया। सैकड़ों मंदिर सेवकों और बैंक कर्मियों की निगरानी में नोटों और सिक्कों की गिनती की गई। यह गिनती आधुनिक मशीनों की मदद से पूरी की गई, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके। दान में सोना-चांदी और विदेशी मुद्रा भी शामिल है।दानपात्र में श्रद्धालुओं ने नकदी के अलावा सोने-चांदी के आभूषण, चांदी की सिल्लियां और विदेशी मुद्राएं भी चढ़ाईं। प्रशासन के अनुसार, इस दान का उपयोग मंदिर के सामाजिक और धार्मिक कार्यों में किया जाएगा। इस राशि का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज सेवा से जुड़े कई कार्यों में किया जाता है।

भक्तों की अटूट आस्था और मंदिर का महत्व
श्री सांवलिया सेठ को 'दानी सेठ' के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि जो भी भक्त यहां सच्चे मन से प्रार्थना करता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है। यही वजह है कि मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार बढ़ रही है और दान राशि हर साल नए रिकॉर्ड बना रही है।

31 मार्च को दूसरे चरण की गिनती
मंदिर प्रशासन ने बताया कि दानपात्रों की पूरी गिनती अभी बाकी है और इसका दूसरा चरण 31 मार्च 2025 को पूरा होगा। इसके बाद कुल प्राप्त दान राशि की औपचारिक घोषणा की जाएगी। श्री सांवलिया सेठ के प्रति भक्तों की यह अटूट श्रद्धा ही मंदिर को देशभर में विशेष स्थान दिलाती है और इस तरह के दान से यह सिद्ध होता है कि आस्था की यह धारा निरन्तर बहती रहेगी।