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अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन के बाद फिर जुड़ेंगे 300 साल के टूटे रिश्ते, लक्ष्यराज मेवाड़ ने उठाया ऐतिहासिक कदम

 
अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन के बाद फिर जुड़ेंगे 300 साल के टूटे रिश्ते, लक्ष्यराज मेवाड़ ने उठाया ऐतिहासिक कदम 

उदयपुर न्यूज़ डेस्क -  मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य डॉ. लक्ष्यराज मेवाड़ ने 300 साल से टूटे रिश्तों को सुधारने की ऐतिहासिक पहल की है। लक्ष्यराज मेवाड़ ने पांच गांवों के राजपुरोहितों को निमंत्रण भेजा है। ये पांचों गांव सदियों से मेवाड़ का अभिन्न अंग रहे हैं और इनका उदयपुर सिटी पैलेस से गहरा नाता रहा है। उदयपुर सिटी पैलेस से मिले निमंत्रण के बाद पांचों गांवों में खुशी का माहौल है। बुधवार को इन गांवों के 130 से अधिक राजपुरोहित उदयपुर सिटी पैलेस पहुंचे, जहां डॉ. लक्ष्यराज सिंह ने उनका स्वागत किया।

महाराणा प्रताप ने दी थी 5 गांव जागीर में
बड़ी बात है कि नारायण दास राजपुरोहित महाराणा प्रताप के साथ हल्दीघाटी का युद्ध लड़ते हुए शहीद हुए थे। उनकी वीरता और बलिदान के सम्मान में महाराणा ने उनके वंशजों को गैंडी, पिलोवनी, वणदार, रूंगरी और शिवतलाव गांव जागीर में दिए थे। 300 साल पहले इन गांवों की बहनें और बेटियां हर साल सिटी पैलेस में राखी भेजती थीं, जिस पर महल की ओर से इन गांवों की बेटियों के लिए चुनरी भेजी जाती थी। कुछ समय बाद महल से राखी का जवाब आना बंद हो गया, लेकिन गांव की महिलाओं और बेटियों ने महल से जवाब का इंतजार करते हुए 30 साल तक राखी भेजने की परंपरा जारी रखी।

300 साल तक महल नहीं गए राजपुरोहित
हालांकि, जब राखी के बदले में महल से कोई जवाब नहीं आया, तो गांव की बहनों और बेटियों ने एक दिन बुजुर्गों को इकट्ठा किया और वचन मांगा और कहा कि जब तक दरबार से बुलावा नहीं आता, तब तक इन गांवों का कोई भी राजपुरोहित महलों में नहीं जाएगा। इसके बाद राज पुरोहित समुदाय ने अपनी बहनों और बेटियों के सम्मान में तब तक महलों में प्रवेश नहीं करने का संकल्प लिया, जब तक कि उन्हें सिटी पैलेस से बुलावा नहीं आता। यह परंपरा धीरे-धीरे खत्म हो गई और इन गांवों के राज पुरोहित करीब 300 साल तक महल नहीं गए।