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लेपर्ड के हमले से मरते-मरते बचा 7 साल के मासूम पर, जबड़े में पकड़कर ले जाने लगा फिर ऐसे बची जान

 
लेपर्ड के हमले से मरते-मरते बचा 7 साल के मासूम पर, जबड़े में पकड़कर ले जाने लगा फिर ऐसे बची जान 

उदयपुर न्यूज़ डेस्क - माता-पिता के साथ सो रहे बच्चे को तेंदुए ने दबोच लिया। मुंह से पकड़कर घसीटने लगा। बच्चे के चिल्लाने पर परिजन जाग गए। ऐसे में तेंदुआ बच्चे को छोड़कर झाड़ियों में भाग गया। उधर, वन विभाग का कहना है कि बच्चे के तेंदुआ होने की पुष्टि के लिए तेंदुए के पगमार्क तलाशे जा रहे हैं। अगर तेंदुआ हुआ तो क्षेत्र में पिंजरा लगाया जाएगा। घटना उदयपुर झाड़ोल क्षेत्र के नयनबारा जंगल के अंबाफला में सुबह 4 बजे हुई। बच्चे का झाड़ोल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में उपचार किया जा रहा है।

बच्चे को ले जा रहा था तेंदुआ
बच्चे के पिता ईश्वर ने बताया कि सुबह 4 बजे सभी सो रहे थे। इस दौरान उनका बेटा नरेंद्र भी पास ही आंगन में सो रहा था। रात को तेंदुआ चुपके से घर में घुस आया और बच्चे पर हमला कर दिया। इसके बाद मुंह से पकड़कर ले जाने लगा। नरेंद्र के शोर मचाते ही हम सब जाग गए, शोर मचते ही तेंदुआ बच्चे को छोड़कर भाग गया। पिता ने बताया कि नरेंद्र के कान, गाल और आंख के आसपास चोट के निशान हैं।

वन विभाग ने कहा- पता लगा रहे हैं कि हमलावर तेंदुआ था या कोई और जानवर
इस बीच वन विभाग के क्षेत्रीय वन अधिकारी फौरीलाल सैनी ने बताया कि सूचना मिलने पर सुबह स्टाफ भेजा गया था। हम जांच कर रहे हैं कि बच्चे पर हमला करने वाला तेंदुआ था या कोई और जंगली जानवर। हम पग मार्क तलाश रहे हैं, इसके बाद पुख्ता जानकारी मिलेगी।यह वन क्षेत्र है और लोग बिखरी आबादी में रहते हैं। बच्चे की आंख सूजी हुई है और हमने परिजनों से उसे उदयपुर के एमबी अस्पताल ले जाने को कहा लेकिन परिजन तैयार नहीं हुए। परिजनों का कहना है कि झाड़ोल में ही उपचार करवा लें।

सलूंबर के सराड़ी क्षेत्र में वन विभाग ने तेंदुए को पिंजरे में कैद कर लिया है। पिछले 40 दिनों से यहां तेंदुए की चहलकदमी के कारण लोगों ने खेतों में जाना बंद कर दिया था। कभी वह रात को अचानक सड़क पर चलते लोगों के सामने आ जाता तो कभी खेत में बैठा नजर आता। इसके बाद जब स्थानीय विधायक से अनुरोध किया गया तो क्षेत्र में पिंजरों की संख्या बढ़ा दी गई।