Udaipur सात समंदर पार ज्योतिष के भरोसे, रूस की तान्या ने उदयपुर में खेजड़ी के पेड़ से शादी की
उदयपुर न्यूज डेस्क, आस्था और विश्वास आपको कुछ भी नहीं करते हैं। फिर यदि बात ग्रहों से संबंधित हो तो समस्या के समाधान का प्रयास किया जाता है। भारत में तो यह सब आम है ही, लेकिन अब ज्योतिषीय मान्यताओं में आस्था विदेशों में भी बढ़ रही है। यह सब साबित कर दिखाया है रूस की तान्या कारपोवा ने 7 दिसंबर को शहर में खेजड़ी के पेड़ से शादी कर ली है। 28 साल की तान्या भारत के दौरे पर हैं।
आगरा में एक ज्योतिषी ने उन्हें लग्न कुंडली में मंगल दोष बताया। कहा जाता था कि इस वजह से उन्हें योग्य लड़का नहीं मिल पाता है और उनकी शादी में रुकावट आती है। इस दोष के निवारण के लिए पीपल या खेजड़ी के वृक्ष से विवाह करने का सुझाव दिया गया था। तान्या ने यहां सूरजपोल के बाहर फतेह स्कूल के सामने खेजड़ी के पेड़ से निकाह की रस्म पूरी की. यह सब करवाने वाले पंडित हेमंत सुखवाल ने बताया कि तान्या दोष निवारण कानून को लेकर काफी उत्साहित थीं.
मांगलिक यदि कुंडली में मंगल दूसरे, चौथे-सातवें-आठवें-12वें भाव में हो
सुविवि में संस्कृत और डीन पीजी स्टडीज के प्रोफेसर प्रो नीरज शर्मा बताते हैं कि लग्न कुंडली के दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें और 12वें भाव में मंगल हो तो वह मांगलिक कुंडली कहलाएगी। चंद्र कुण्डली में दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में मंगल एक दोहरा मांगलिक दोष माना जाता है। यदि इन भावों में वर और वधू दोनों की लग्न, चंद्र या शुक्र कुंडली में मंगल की स्थिति बनती है तो मांगलिक दोष से बचा जाता है। मंगल के प्रभाव से विवाह में देरी, दांपत्य जीवन में कटुता और विवाह टूटने के संकेत मिलते हैं। इसलिए विवाह से पहले भाव मेलापक, ग्रह मेलापक और गुना मेलापक का विचार करने की परंपरा और मान्यता है।