Udaipur पालनाघर में 6 साल में 91 नवजात आए, इनमें 60 बेटियां

स्वास्थ्य संबंधी संपूर्ण जांचों में वह स्वस्थ हो तो उसे बाल कल्याण समिति को सौंप दिया जाता है। वहां से उन्हें बाल गृहों में भेजा जाता है। जहां पूरी देखभाल होती है। पालनाघर में कोई भी अपना बच्चा छोड़कर जा सकता है। किसी से कोई सवाल-जवाब नहीं होते। एमबी अस्पताल अधीक्षक डॉ. आर.एल. सुमन बताते हैं कि पालना घर में प्राप्त होने वाले बच्चों के पीछे कई कारण हैं। कुपोषित बच्चे का अस्पताल में इलाज कराएं तो वे स्वस्थ हो जाते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान मां को अपने खानपान का ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए सरकार की कई निशुल्क योजनाएं भी हैं। हालांकि, बच्चों को इधर-उधर फेंकने के बजाय पालना घर में छोड़ा जाना ज्यादा सही है।
डराते हैं ये कारण... कुपोषण, अनचाही संतान और भेदभाव
बच्चियों को छोड़े जाने के पीछे चौंकाने वाले कारण रहे। किसी के तीन लड़कियां पहले से थी, ऐसे में परिवार वाले अब लड़का ही चाहता था। इसके अलावा कुपोषित बच्चों के इलाज का भार नहीं उठा पाना भी इन्हें छोड़ने का कारण रहा। पालनाघर में आए 60-70 फीसदी बच्चे ऐसे रहे, जो कुपोषण का शिकार थे। आदिवासी बेल्ट होने के कारण कुपोषण यहां बड़ी समस्या है। वर्ष 2024 में पालनाघर में छोड़ गए 15 बच्चों में से 12 बच्चे कम वजन के थे। बच्चे का जन्म के दौरान औसत 2.5 किलो वजन मेडिकल के हिसाब से सही माना जाता है। इन बच्चों में 1.2 किलो तक के बच्चे भी शामिल रहे।अनचाहे बच्चे भी पालनाघर में छोड़े जाने का कारण माने जा सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि पालनाघर में लड़के भी छोड़े गए। किसी लड़की के किसी कारण से गर्भधारण करने और समाज की ओर से बच्चे को स्वीकार नहीं किए जाने के डर से भी बच्चे पालनाघर में छोड़ जाते हैं।