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Udaipur पालनाघर में 6 साल में 91 नवजात आए, इनमें 60 बेटियां

 
Udaipur पालनाघर में 6 साल में 91 नवजात आए, इनमें 60 बेटियां
उदयपुर न्यूज़ डेस्क, उदयपुर  शुक्रवार को राष्ट्रीय बालिका दिवस रहा। इस मौके पर बालिकाओं की समृद्धि-विकास सहित अन्य मुद्दों को लेकर कार्यक्रमों का आयोजन हुआ, इनकी लिए चलाई जा रही योजनाओं पर विचार मंथन और उन्हें आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया। इस बीच,  संभाग के सबसे बड़े एमबी अस्पताल के बाल चिकित्सालय में संचालित पालना घर पर नजर डाली तो आंकड़े बच्चियों के खिलाफ दिखे।यहां बीते 6 साल में 91 बच्चे प्राप्त हुए। इनमें से आधी से ज्यादा लड़कियां रहीं। यानी तमाम जागरूकता प्रयासों के बावजूद लड़के-लकड़ी में भेदभाव अब भी बना हुआ है। साल 2019 से लेकर 2024 तक के आंकड़ों के तहत पालनाघर में 31 लड़के और 60 लड़कियां छोड़ी गई। इनमें एक दिन से लेकर 28 दिन तक के बच्चे शामिल रहे। चौंकाने वाली बात यह है कि इन बच्चों में से 17 की मौत हो गई। इनमें भी सबसे ज्यादा 14 लड़कियां रहीं। बता दें कि पालना घर में नवजात शिशु को छोड़ते ही अस्पताल प्रबंधन उसकी देखरेख के लिए अपने पास रखता।

स्वास्थ्य संबंधी संपूर्ण जांचों में वह स्वस्थ हो तो उसे बाल कल्याण समिति को सौंप दिया जाता है। वहां से उन्हें बाल गृहों में भेजा जाता है। जहां पूरी देखभाल होती है। पालनाघर में कोई भी अपना बच्चा छोड़कर जा सकता है। किसी से कोई सवाल-जवाब नहीं होते। एमबी अस्पताल अधीक्षक डॉ. आर.एल. सुमन बताते हैं कि पालना घर में प्राप्त होने वाले बच्चों के पीछे कई कारण हैं। कुपोषित बच्चे का अस्पताल में इलाज कराएं तो वे स्वस्थ हो जाते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान मां को अपने खानपान का ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए सरकार की कई निशुल्क योजनाएं भी हैं। हालांकि, बच्चों को इधर-उधर फेंकने के बजाय पालना घर में छोड़ा जाना ज्यादा सही है।

डराते हैं ये कारण... कुपोषण, अनचाही संतान और भेदभाव

बच्चियों को छोड़े जाने के पीछे चौंकाने वाले कारण रहे। किसी के तीन लड़कियां पहले से थी, ऐसे में परिवार वाले अब लड़का ही चाहता था। इसके अलावा कुपोषित बच्चों के इलाज का भार नहीं उठा पाना भी इन्हें छोड़ने का कारण रहा। पालनाघर में आए 60-70 फीसदी बच्चे ऐसे रहे, जो कुपोषण का शिकार थे। आदिवासी बेल्ट होने के कारण कुपोषण यहां बड़ी समस्या है। वर्ष 2024 में पालनाघर में छोड़ गए 15 बच्चों में से 12 बच्चे कम वजन के थे। बच्चे का जन्म के दौरान औसत 2.5 किलो वजन मेडिकल के हिसाब से सही माना जाता है। इन बच्चों में 1.2 किलो तक के बच्चे भी शामिल रहे।अनचाहे बच्चे भी पालनाघर में छोड़े जाने का कारण माने जा सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि पालनाघर में लड़के भी छोड़े गए। किसी लड़की के किसी कारण से गर्भधारण करने और समाज की ओर से बच्चे को स्वीकार नहीं किए जाने के डर से भी बच्चे पालनाघर में छोड़ जाते हैं।