Udaipur जनजाति युवाओं को निखारने वाले सर्व समाज के 60 शिक्षकों को शिक्षक गौरव सम्मान

समारोह में 18 प्रतिभाओं को आदि कवि वाल्मीकि गौरव पुरस्कार दिए गए। इन्होंने विश्वविद्यालयी परीक्षाओं में स्वर्ण पदक या पीएचडी. डिग्री प्राप्त की थी। अखिल भारतीय या राज्य स्तरीय प्रतिष्ठित सेवाओं में चयनित होने वाली 83 प्रतिभाओं को मेवाड़ वीर राणा पूंजा भील प्रतिभा पुरस्कार प्रदान किए। मेडिकल, प्रबंधन, इंजीनियरिंग आदि से संबंधित प्रतिष्ठित संस्थाओं में प्रवेश प्राप्त करने वाली 198 प्रतिभाओं को वीर बालक एकलव्य प्रतिभा पुरस्कार, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं में 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाली 171 प्रतिभाओं को शहीद वीर बाला काली बाई प्रतिभा पुरस्कार से नवाजा गया।
अंचल के विभिन्न जिलों में प्रेरक सामाजिक कार्य करने वाले 55 सामाजिक कार्यकर्ताओं को शहीद नानकजी भील सामाजिक नेतृत्व पुरस्कार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभागी रहने वाले और राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर प्रतिष्ठित खेल स्पर्धा में पदक प्राप्त करने वाली खेल प्रतिभाओं को पद्मश्री धनुर्धर लिंबाराम खेल र| पुरस्कार दिए गए। इससे पहले संस्थान के अध्यक्ष प्रभुलाल डिंडोर ने संस्थान की गतिविधियों की जानकारी दी। उपाध्यक्ष सीबी मीना ने जनजाति अस्मिता से जुड़ी गोंडवाना की रानी दुर्गावती का जीवन परिचय प्रस्तुत किया। महासचिव डॉ. शंकर बामनिया ने संस्थान की प्रमुख गतिविधियों व आवंटित भूखंड पर भावी भवन निर्माण की रूपरेखा प्रस्तुत की।
सुविवि के विवेकानंद सभागार में आयोजित समारोह में मंचासीन अतिथि।
उदयपुर| 11वां अंचल स्तरीय जनजाति प्रतिभा सम्मान और सर्व समाज शिक्षक गौरव समारोह रविवार को सुविवि के विवेकानंद सभागार में हुआ। इसमें उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, सिरोही, सलूंबर और चितौड़गढ़ जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के 60 शिक्षकों को शिक्षक गौरव सम्मान और जनजाति समाज की 581 प्रतिभाओं को विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। सबसे बड़ा एकल पुरस्कार मानगढ़ धाम गौरव पुरस्कार बांसवाड़ा के नीलेश चरपोटा को दिया गया। नीलेश टेनेसी विश्वविद्यालय, नॉक्सविले, संयुक्त राज्य अमेरिका से केमिकल इंजीनियरिंग (पॉलिमर) विषय में पीएचडी उपाधि प्राप्त कर उसी विवि में सहायक आचार्य के पद पदस्थापित हैं।
मुख्य अतिथि उदयपुर सांसद डॉ. मन्नालाल रावत ने कहा कि प्रतिभा राष्ट्र और समाज की धरोहर हैं, जिनको संवारना समाज का दायित्व है। जनजाति समाज को अपने इतिहास, गौरव और अस्मिता से जुड़े नायकों से प्रेरणा लेकर अपनी सामाजिक सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ना होगा। समाज के युवाओं को बहुआयामी कौशल विकास के साथ अपना कॅरिअर बनाना चाहिए और समाज व राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखकर आगे बढ़ना चाहिए। संस्थापक अध्यक्ष रघुवीर सिंह मीणा ने कहा कि समाज के सर्वांगीण विकास के लिए ऐसे सम्मान समारोह की सार्थकता तभी संभव है, जब इन्हें राजनीतिक दलगत भावना से ऊपर उठकर एकमंच पर आकर किया जाए। इस दृष्टि से संस्थान का सम्मान समारोह बेहतर उदाहरण है, जो 2011 से बिना किसी राजनीति से आयोजित होता आ रहा है। पूर्व सांसद अर्जुनलाल मीणा ने समाजजन से अपील की कि ऐसे कार्यक्रम से अधिकाधिक जुड़ें और समाज को मुख्यधारा में लाने में अपना हरसंभव सहयोग दें।