Udaipur राड़ा रेंज का 50 वर्ग किमी क्षेत्र जयसमंद अभयारण्य में जोड़ा जाएगा, तेंदुआ कॉरिडोर बनेगा

अमरखजी लेपर्ड रिजर्व से जुड़े होने का फायदा मिलेगा
जयसमंद सेंचुरी में केवड़ा की नाल का जंगल जुड़ने से लेपर्ड के लिए एक नया काॅरिडाेर तैयार हाेगा। केवड़ा की नाल का जंगल अमरखजी महादेव लेपर्ड रिजर्व से जुड़ा हुआ है। यह रिजर्व 7400 हेक्टेयर में तैयार किया जा रहा है। अभी रिजर्व और सेंचुरी में भालू का मूवमेंट देखने काे मिला है। अमरखजी लेपर्ड रिजर्व में जीप सफारी हाेगी।अभी इस प्राेजेक्ट में ट्रैक बनाने, चाैकियां, एनीकट, ग्रासलैंड बनाने आदि के कार्य किए जा रहे हैं। बता दें कि एक दिन पहले ही उदयपुर के जंगलों से जुड़ी सुखद खबर सामने आई थी। इंडियन फाॅरेस्ट सर्वे की 2023 की रिपाेर्ट बताया गया था कि उदयपुर में पिछले दाे साल में 12.37 वर्ग किमी नया जंगल तैयार हुआ है। पहली बार 61.27 वर्ग किमी का क्षेत्र घना हुआ।
सेंचुरी में 21 तेंदुओं सहित सियार-जरख जैसे सैकड़ों वन्यजीव
वर्ष 2024 की वन्यजीव गणना के अनुसार सेंचुरी में 21 तेंदुए, 35 सियार, 15 जरख, 14 जंगली बिल्ली, 34 लाेमड़ी, 3 भालू, 31 बिज्जू, 58 चीतल, 18 सांभर, 245 नीलगाय, 12 चिंकारा, 134 जंगली सूअर, 34 सेई और 972 लंगूर माैजूद हैं। जयसमंद सेंचुरी में वर्ष 2023 से जीप सफारी शुरू की गई थी। इसके तहत सुबह 6 से 9 बजे और शाम 4 से 7 बजे सफारी करवाई जाती है। वन विभाग ने इसके लिए अभी 5 गाड़ियां लगा रखी हैं। इसके साथ ही जयसमंद पाल से रूठी रानी महल तक भी सफारी करवाई जाती है। सर्दियाें में यहां मगरमच्छ धूप सेंकते हुए देखे जा सकते हैं।
400 हेक्टेयर में बन रही ग्रासलैंड
शहर से 50 किमी दूर स्थित जयसमंद सेंचुरी में तेंदुओं का कुनबा बढ़ाने के लिए शाकाहारी वन्यजीवों की संख्या बढ़ाई जा रही है। इसके तहत वन विभाग सेंचुरी के 400 हेक्टेयर एरिया में ग्रासलैंड तैयार करवा रहा है। सरकार 25 लाख का बजट दे चुकी है। यह ग्रासलैंड जामूड़ा और पिलादर क्षेत्र में तैयार होगा। पिलादर में तालाब होने से बर्ड वॉचिंग साइट भी है। ग्रासलैंड के लिए विभाग ने गर्मियों में लैंटाना, जंगली तुलसी और विलायत बबूल को हटा दिया है।
मां से बिछड़े दो शावक तेंदुए, 60 घंटे की मेहनत के बाद भी नहीं मिलवा पाए, आखिर बायोपार्क में लाए
सराड़ी| सलूंबर के सराड़ी गांव में तेंदुए के दो शावक अपनी मां से बिछड़ गए। इनके गांव में लावारिस घूमने की सूचना मिली तो वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और इन्हें पकड़कर पिंजरे में रखा गया।टीम ने करीब 60 घंटे तक इन्हें पिंजरे में रखा और इनकी मां की तलाश करते रहे, लेकिन जब कुछ सुराग नहीं लगा तो दोनों को उदयपुर शहर में स्थित सज्जनगढ़ बायोपार्क ले आए। दाेनाें की उम्र करीब 4 माह है। अब पार्क में इनकी देखभाल की जा रही है। डाॅक्टरों की टीम इनके सेहत की लगातार जांच कर रही है।
बता दें कि 4 साल पहले शहर के दूध तलाई इलाके में भी तेंदुए का एक शावक अपनी मां से बिछड़कर राेपवे के पास अा गया था। वन विभाग की टीम ने उसे रेस्क्यू किया और रात के समय जंगल में छाेड़ा। यहां कुछ समय बाद ही शावक की मां आ गई। वह उसे अपने साथ ले गई थी। इस दौरान टीम ने नजर बनाए रखी।
अमेरिका का मिल्क पाउडर व चिकन सूप दे रहे
सराड़ी से रेस्क्यू किए गए शावकों को अमेरिका से मंगाया गया कैट मिल्क पाउडर और चिकन सूप दिया जा रहा है। इसके साथ ही बाेनलेस चिकन को उबालकर खाने में दिया जा रहा है। दाेनों को अलग-अलग केज में रखा गया है। एक कर्मचारी हरवक्त इनकी देखरेख कर रहा है। बड़े हाेने तक ये शावक बायाेपार्क में ही रहेंगे। इसके बाद इन्हें जंगल में छाेड़ा जाएगा। बायोपार्क में अभी इन दो शावकों के अलावा एक अन्य शावक भी है। इसे 29 जनवरी काे घायल हालत में यहां लाया गया था।