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Udaipur दमकल बेड़े में 23 वाहन, 7 का रजिस्ट्रेशन खत्म, 15 साल से बेकार पड़े

 
Udaipur दमकल बेड़े में 23 वाहन, 7 का रजिस्ट्रेशन खत्म, 15 साल से बेकार पड़े

उदयपुर न्यूज़ डेस्क, उदयपुर जिले में अग्निशमन विभाग का आग बुझाने का दायरा तो बढ़ रहा है, लेकिन वाहनों की संख्या नहीं बढ़ रही है। विभाग करीब सरकार से अलग 28 गाड़ियों की मांग कर रहा है, जो अब तक नहीं मिली है। इनमें 23 बड़ी गाड़ियों और 5 फायर बाइक शामिल है। आखिरी बार साल 2023 में एक गाड़ी मिली थी। अभी विभाग के पास 23 गाड़ियां, एक बाइक और एरियर हाइड्रोलिक प्लेटफार्म लैडर है। इनमें से 7 गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन खत्म हो गए है।ये 36 से 16 साल पुराने है। पिछले 15 साल से इन्हें मादड़ी फायर स्टेशन पर खड़ा किया हुआ है, जो अब कबाड़ बनते जा रहे है। काम आ रहे 16 वाहनों में से 2 वाहन 34 साल पुराने, 2 वाहन 15 साल, एक वाहन 13 साल, 2 वाहन 10 साल, 8 वाहन 3 साल और एक वाहन दो साल पुराना है।

अग्निशमन विभाग में 28 वाहनों की जरूरत है। मुख्य अग्निशमन अधिकारी बाबूलाल चौधरी ने बताया कि पिछले 2-3 सालों में कई बार वाहनों की मांग को लेकर सरकार को पत्र भेजा जा चुका है, लेकिन अब तक नहीं मिली है। आगामी बजट में कुछ गाड़ियां मिलने की उम्मीद है। 15 हजार पानी की क्षमता वाले 5 फायर वाटर बाउजर, 5-8 हजार पानी की क्षमता वाले 7 फायर वाटर टेंडर, 5-8 हजार फोम की क्षमता के 5 फायर फोम टेंडर, 2500 से 3 हजार पानी की क्षमता के 3 मिनी वाटर टेंडर, उपकरण युक्त 3 रेस्क्यू टेंडर और 5 फायर बाइकों की मांग की है।

वाटर बाउजर अभी विभाग के पास नहीं है। यह लैडर में वाटर सप्लाई का काम करता है। सभी फायर ब्रिगेड की गाड़ियां वाटर टेंडर है। ये सामान्य आग बुझाने का काम करती है। विभाग के पास 1 फोम टेंडर है। ये पेट्रोल-डीजल से लगी आग को काबू करने के काम करती है। विभाग के पास 2 मिनी टेंडर है। ये शहर के अंदरूनी भागों में काम करती है। रेस्क्यू टेंडर विभाग में नहीं है। यह बचाव कार्य के उपकरण जैसे लाइट, हाइड्रो कटर, डोर मशीन और कैमरों से लेस होती है। बाइक शहर की गलियों में पहुंच कर आपदा नियंत्रण करती है। इनमें 200 से 300 लीटर पानी ले जाने की क्षमता होती है।

निगम सीमा बढ़ी, अब स्टेशनों और गाड़ियों को बढ़ाना जरूरी

शहर में अशोक नगर, पुरोहितों की मादड़ी, मीराकलां, चेतक सर्किल और सुंदरवास में फायर स्टेशन है। ये जिलेभर में आग बुझाने का काम करती है। वीआईपी-वीवीआईपी मूवमेंट, प्रोटोकॉल और जेड प्लस सुरक्षा में भी इनकी ड्यूटी रहती है। सीमांकन के बाद नगर निगम की सीमा 60 से बढ़ कर 200 किमी तक पहुंच गई है।ऐसे में फायर ब्रिगेड को आपदा के समय दूर-दराज गांवों में भी पहुंचना होगा। इसके लिए फायर ब्रिगेड वाहनों और स्टेशनों को भी बढ़ाने की जरूरत है। देबारी, तीतरड़ी, सीसारमा जैसे क्षेत्रों में नए फायर स्टेशन बनने चाहिए। ताकि आगजनी की सूचना पर तुरंत गाड़ियां पहुंचे और आग पर काबू पा सके। पुराने स्टेशनों से ये इलाके दूर है, ऐसे में गाड़ियों के पहुंचने तक आगजनी और भी ज्यादा बढ़ सकती है।

2022 में मिली हाइड्रोलिक लैडर, 3 साल से खड़ी, उपयोग नहीं

15 करोड़ की एरियर हाइड्रोलिक प्लेटफार्म लैडर 22 दिसंबर, 2022 को अग्निशमन विभाग में आई थी। इसका मुख्य काम बहुमंजिला इमारत में फंसे लोगों को बाहर निकालना और आग बुझाना है। अब तक इसका उपयोग नहीं लिया गया है। इसे मादड़ी स्टेशन पर खड़ा किया है, जहां रखरखाव किया जाता है। इसे सप्ताह में 2-3 बार 20 मिनट के लिए चालू किया जाता है, ताकि इसका इंजन खराब नहीं हो जाए। एक बार शुरू करने पर 500 रुपए तक का डीजल खर्च होता है। लैडर को फिनलैंड की स्काई ब्रोंटो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से वॉल्वो मेक कंपनी ने दि‍ल्ली मंगवाया था। इसके बाद यहां भेजा। कंपनी पर 10 साल तक इसके रखरखाव की जिम्मेदारी है। लैडर 60 मीटर की ऊंचाई तक 7-8 टन वजन ले जा सकती है। लैडर के ऊपर केज लगा होता है, जिसमें 5-6 जने जा सकते हैं। इस केज और गाड़ी के पिछले हिस्से में ऑपरेटिंग सिस्टम स्क्रीन लगी होती है, जिससे ये कंट्रोल होती है।