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Udaipur में 163 स्लीपर और 25 लोक परिवहन बसों को परमिट, हकीकत- 500 चल रही

 
Udaipur में 163 स्लीपर और 25 लोक परिवहन बसों को परमिट, हकीकत- 500 चल रही

उदयपुर न्यूज़ डेस्क,  20 दिसंबर काे एलपीजी टैंकर और ट्रक की भिड़त से हुए हादसे में उदयपुर की स्लीपर बस भी जलकर खाक हो गई थी। इसमेंं 32 यात्री सवार थे, जिसमें से दाे की माैत हाे चुकी है। जांच में पता चला कि बस बिना परमिट के चलाई जा रही थी। हालांकि उसके पास फिटनेस सर्टिफिकेट था।बीमा हाेने के साथ राेड टैक्स भी जमा था। लेकिन, परमिट नहीं हाेने के बावजूद इसके संचालन पर परिवहन विभाग कठघरे में खड़ा हाे गया है। जबकि बिना परमिट बसाें के संचालन की अनुमति नहीं दी जा सकती है। घटना ने उदयपुर से संचालित निजी स्लीपर और लाेक परिवहन की बसाें के संचालन पर सवाल खड़े कर दिए हैं।पड़ताल में सामने आया कि उदयपुर जिले में 163 स्लीपर बसें और लाेक परिवहन की 25 बसाें के पास परमिट है। जबकि हकीकत में जिले में स्लीपर और लाेक परिवहन की बसाें काे मिलाकर 500 से ज्यादा वाहनाें का संचालन किया जा रहा है। उदयपुर शहर से डूंगरपुर, खेरवाड़ा, पाली, सिराेही, चिताैड़गढ़, भीलवाड़ा, नीमच, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा रूट पर कई लाेक परिवहन बसाें का संचालन किया जा रहा है।

विभाग का दावा है कि अन्य जिलों में रजिस्बसें भी उदयपुर से संचालित की जाती हैं। लेकिन, जांच का विषय यह है कि इन बसाें की जांच भी हाे रही है या नहीं। सबसे ज्यादा लाेक परिवहन की बसाें का संचालन उदयपुर-निंबाहेड़ा-नीमच रूट पर किया जाता है। यहां हर 30 मिनट में एक बस का संचालन किया जाता है। लाेक परिवहन की बसाें काे शहर और हाईवे पर तेज गति में दाैड़ाया जाता है। इनकी जांच करने वाला काेई नहीं है। बता दें कि राजस्थान में बसाें की परमिट फीस 30 से 40 हजार रुपए है। इसमंे सीट और प्रति दिन किलोमीटर संचालन के आधार पर परमिट फीस निर्धारित की जाती है।

डीटोओ बोले-नियम ताेड़ा तो कार्रवाई हाेगी
जिला परिवहन अधिकारी (डीटीओ) अनिल साेनी का कहना है कि जयपुर में हुआ हादसा एक दुखद घटना है। बस संचालक ने बीमा, राेड टैक्स, फिटनेस आदि करा रखे थे। शहर में बिना फिटनेस, परमिट के वाहन चलाने वालाें के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। पिछले माह में 188 वाहनाें के खिलाफ कार्रवाई की थी। लाेक परिवहन और स्लीपर आदि बसाें में नियमाें की पालना नहीं करने वालाें के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।

राेड टैक्स बचाने अरुणाचल-नागालैंड में करवा रहे रजिस्ट्रेशन

उदयपुर जिले में अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड राज्य के नंबराें के रजिस्टर्ड 100 से ज्यादा बसाें का संचालन किया जा रहा है। इन्होंने ऑल इंडिया परमिट ले रखा है। राजस्थान में पंजीकृत बसाें काे हर माह 40 हजार रुपए राेड टैक्स देना हाेता है। ऐसे में सालभर के 4.80 लाख रुपए बनते हैं। इसके अलावा तीन माह के लिए ऑनलाइन ऑल इंडिया परमिट दिया जाता है। इसकी फीस 80 हजार है। यह 3.20 लाख बनती है। यानी की राजस्थान से ऑल इंडिया परमिट की बसे चलाने पर सालभर में 8 लाख रुपए टैक्स देना पड़ता है।
दूसरी ओर्र अरुणाचल में सालाना रोड टैक्स 12 हजार और नागालैंड में 29900 रुपए है।

हालांकि, दोनों ही राज्यों में ऑल इंडिया परमिट राजस्थान की ही तरह 80 हजार रुपए में तीन माह के लिए दिया जाता है। लेकिन, रोड टैक्स कम होने से अरुणाचल में 3.32 लाख रुपए और नागालैंड में 3.49 लाख रुपए में सालभर के लिए ऑल इंडिया परमिट मिल जाता है। यह राजस्थान की तुलना में अरुणाचल में 4.68 लाख और नागालैंड में 4.51 लाख रुपए कम खर्च हाेते हैं।

इधर, खलासी तीसरे दिन भी लापता, घायलों की हालत में सुधार

जयपुर हादसे के बाद से लापता उदयपुर की निजी बस के खलासी का तीसरे दिन भी कोई सुराग नहीं लगा। दूसरी ओर, घायल तीन यात्रियों की हालत अब खतरे से बाहर है। उनका उपचार जारी है। हादसे में उदयपुर के 8 लोग जख्मी हुए थे। इनमें से अब तीन निर्मला पत्नी प्रहलाद, भुवाणा निवासी लक्ष्मण पुत्र डालचंद व सराड़ा निवासी रूपा ही जयपुर में भर्ती हैं। निर्मला के दामाद ने बताया कि उनकी हालत अब खतरे से बाहर है। निर्मला के पति का निधन हो चुका है। उनकी दो बेटियां हैं, जिनकी शादी हो चुकी है।

ट्रेवल्स मालिक अब्दुल सलमान खान ने बताया कि लक्ष्मण और रूपा भी अब ठीक हैं। इन्हें जल्द डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। वहीं खलासी कालू की जयपुर पुलिस तलाश कर रही है। उसके कोई परिजन नहीं हैं। आशंका जताई जा रही है कि कहीं व भी हादसे का शिकार न बन गया हो। बता दें कि हादसे में चालक शाहिद की मौके पर ही मौत हो गई थी। घायल यात्री फैजान ने शनिवार को दम तोड़ दिया।

बस में 32 यात्री सवार थे

19 दिसंबर की रात 9 बजे लेकसिटी ट्रेवल्स की बस जयपुर के लिए रवाना हुई थी। इसमें चालक और खलासी के साथ 32 यात्री सवार थे। 20 दिसंबर को जयपुर से मात्र 11 किमी पहले अजमेर रोड पर सुबह 5:44 बजे हादसा हो गया। तब अमूमन यात्री सोए हुए थे। तपन महसूस हुई तो नींद टूटी। बस का मेन गेट कंटेनर आड़े आने से लॉक हो गया। यात्री खिड़की के शीशे तोड़कर बाहर निकले। 24 यात्री उसी दिन घर लौट आए थे।