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Tonk टोडरायसिंग में लोक पर्व गणगौर को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह

 
Tonk टोडरायसिंग में लोक पर्व गणगौर को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह

टोंक न्यूज़ डेस्क, लोक मेला गणगौर पर्व को लेकर विवाहित महिलाओं व युवतियों में खासा उत्साह है। होली के दूसरे दिन शुरू हुए इस 16 दिवसीय त्योहार के दसवें दिन बुधवार को घरों में भी ईसर-गणगौर की पूजा की गई। लोकगीत गाए गए।

शहर के विजयपथ स्थित रामचरण भवन में महिलाओं ने ब्राह्मण बिंदौरी निकालकर गणगौर को नगर भ्रमण कराया। आसपास के क्षेत्रों से कई महिलाएं बिंदौरी में पहुंचीं। कई स्थानों पर गणगौर का भव्य स्वागत किया गया। गणगौर पर घर-घर बिंदौरी निकालने का यह सिलसिला मुख्य गणगौर तक जारी रहेगा।

कार्यक्रम में रामचरण विजयवर्गीय, रीना, संतरा पंचोली, शशि, गीता देवी, ममता, आशा मोदी, सुनीता, लीना, रानू, शांति देवी, राधा, विशना, रेनू, इंदिरा, गिरिराज, महेश, गौरव, आशीष विजयवर्गीय, घनश्याम, दिनेश शामिल थे। , वी. . ,हर्षित आदि मौजूद रहे। इन दिनों भँवर म्हाने पूजन दो गणगौर जैसे गीतों के साथ धुलंडी के दिन से ईसर-गणगौर की पूजा शुरू हो जाती है।

कुँवारी और विवाहित स्त्रियाँ उनकी पूजा करती हैं। महिलाओं के सोलह श्रृंगार के त्योहार के कारण होली के दूसरे दिन से ही ईसर-गंगघर की पूजा शुरू हो जाती है। यह पूजा चैत्र शुक्ल तृतीया तक जारी रहेगी। महिलाएं और लड़कियां सोलह दिनों तक सुबह बगीचे में जाती हैं और हरी घास इकट्ठा करती हैं। घरों में मिट्टी से ईसर-गणगौर बनाए जाते हैं और उत्साह और उमंग के साथ उनकी पूजा की जाती है।

कुंवारी लड़कियां मनचाहा वर पाने के लिए सोलह दिनों तक पूजा करती हैं और विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। लड़कियाँ बगीचे में जाती हैं, ईसर-गौर की तरह तैयार होती हैं, गीत गाती हैं और फिर घर आकर पूजा करती हैं। ईसर-गणगौर का त्यौहार एक पौराणिक कथा से जुड़ा है। जिसके चैत्र कृष्ण प्रतिपदा के दिन नवविवाहित महिलाएं और कुंवारी लड़कियां प्रतिदिन गणगौर की पूजा करती हैं। चैत्र शुक्ल द्वितीया को झील में डुबो देते हैं। तीसरे दिन गणगौर माता की पूजा की जाती है।

मान्यता के अनुसार ईशर के रूप में पार्वती गणगौर और भगवान शंकर की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि पार्वती ने भगवान शंकर को वर के रूप में पाने के लिए व्रत और तपस्या की थी। इससे प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने वरदान दिया और भगवान शंकर और पार्वती का विवाह हो गया। इस कथा के अनुसार कुंवारी लड़कियां सुयोग्य वर की कामना करती हैं और विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।