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Tonk गैर-अभ्यास भत्ते की मांग कर रहे पशुचिकित्सक सामूहिक हड़ताल पर चले गए

 
Tonk गैर-अभ्यास भत्ते की मांग कर रहे पशुचिकित्सक सामूहिक हड़ताल पर चले गए

टोंक न्यूज़ डेस्क, टोंक पिछले लंबे समय से नॉन प्रेक्टिस अलाउंस (एनपीए) की मांग कर पशु चिकित्सक सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए। इससे जहां अस्पताल परिसर में सुने नजर आ रहे है। वही पशु पालकों को अपने मवेशियों के उपचार के लिए भटकना पड़ रहा है। पशु चिकित्सक डॉ. दिलीप गिदवानी, डॉ. डॉ. सौभाग चौधरी, डॉ. सोनल आदि ने बताया कि एनपीए की मांग को कई सालों से पशु चिकित्सक आंदोलन कर रहे है। जिले में संचालित है 42 गोशालाएं, हड़ताल से प्रभाव पड़ेगा, लेकिन सरकार की ओर से की जा रही लगातार अनदेखी से पशु चिकित्सकों में खासा आक्रोश है। वही कामधेनु योजना के तहत जिले में 2 लाख 66 हजार 303 पशुओं के बीमा होने की क्रियान्विति पर भी अब सवाल उठते दिखाई दे रहे है।

वहीं हड़ताल पर जाने से पूर्व पशु चिकित्सकों ने पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक अशोक कुमार पांडे को प्रार्थना सौंपा। विदित रहे दो दिन पहले ही वेटेनरी डॉक्टरों ने सरकार के ध्यानाकर्षण के लिए एक दिवसीय सामूहिक अवकाश पर रहकर संयुक्त निदेशक कार्यालय परिसर में धरना दिया था। जिसे जिले में संचालित गोशाला के संचालकों का भी समर्थन मिला था। लेकिन इन सबके बावजूद राज्य सरकार ने उनकी मांग अनदेखा कर दिया है। पशुपालन विभाग के अनुसार जिले में वर्तमान में 42 गोशालाएं संचालित है, इनमें 16 अनुदानित गोशालाएं है। शेष में 100 से कम गोवंश होने व अन्य मापदंडों के चलते अनुदान नहीं ले पा रही। सभी गोशालाओं में 4717 बड़ा व 1702 छोटा गोवंश पल रहा है। जिले में संचालित 42 गोशालाओं में पल रहे 6 हजार से अधिक गोवंश का भौतिक सत्यापन व सरकार की कामधेनू बीमा योजना को लेकर किया मवेशियों का बीमा कार्य भी अब अटक गया।

कामधेनु योजना का बहिष्कार राजस्थान में कामधेनु योजना के तहत जिले में 2 लाख 66 हजार 303 पशुओं समेत प्रदेश के कुल 80 लाख पशुओं का बीमा किया जाना है। पशु चिकित्सकों (वेटरनरी डॉक्टर्स) का कहना है कि प्रदेश में सिर्फ 2 हजार पशु चिकित्सक डॉक्टर्स ही मौजूद है। जो कि इतने बड़े स्तर पर बीमा का काम नहीं कर सकते है। इसलिए उन्होंने मांग की है कि अगर उनसे कामधेनु योजना का काम करवाया जाएगा तो उन्हें सरकार अतिरिक्त दैनिक भत्ता दे। बीते दिनों सीएम गहलोत ने भीलवाड़ा से कामधेनु योजना का शुभारंभ किया था। पर अब पशु चिकित्सकों की हड़ताल के कारण यह योजना के क्रियान्वयन को लेकर सवाल उठते दिख रहे है।