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Tonk चैनपुरा गांव में पशुपालकों के लिए शिविर का आयोजन किया

 
Tonk चैनपुरा गांव में पशुपालकों के लिए शिविर का आयोजन किया 

टोंक न्यूज़ डेस्क, राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर की ओर से संचालित पशु विज्ञान केंद्र अविकानगर की ओर से गुरुवार को चैनपुरा में शुष्क काल में दुधारू पशुओं का प्रबंध विषय पर एक दिवसीय पशुपालक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन हुआ। इसमें सहायक आचार्य एवं प्रभारी डॉ. प्रेरणा यादव ने बताया कि दुधारू पशुओं में शुष्क काल महत्वपूर्ण अवधि है, जो की पशु की शारीरिक स्थिति और दुग्ध उत्पादन के लिए बहुत जरूरी है। एक दुग्ध काल के अंत से दूसरे दुग्ध काल की शुरुआत के बीच के समय को शुष्क अवधि कहा जाता है। यह अवधि 45 से 60 दिन उचित मानी गई है। इस दौरान पशुओं में पोषक तत्वों को पुर्नस्थापित तथा दुग्ध उत्पादन के लिए दूध स्रावित करने वाले उत्तकों को पुनर्जीवित करने का कार्य होता है।

शिविर में बताया गया कि पशुओं को शुष्क काल में उचित प्रबंध नहीं मिलने की स्थिति में दुग्ध उत्पादन 25 से 30 प्रतिशत कम हो जाता है। शुष्क काल में उचित प्रबंधन से गर्भित पशु के बछड़े को उचित पोषण उपलब्ध होने के साथ पशु में पाचन, चयापचय और संक्रामक रोगों का खतरा भी काम होता है। शिविर में पशुपालकों को पशु को सुखाने की प्रक्रिया के साथ इस अवस्था में पोषण, आवास और स्वास्थ्य प्रबंधन की जानकारी दी गई। शुष्क काल की अवधि में अधिक ऊर्जा, फाइबर व कम प्रोटीन वाला आहार विटामिन एवं मिनरल मिश्रण के साथ उपलब्ध कराना चाहिए। पशु को साफ, सूखे व छायादार आवास के साथ-साथ थानों में एंटीबायोटिक दवाई देने से थनैला जैसे रोग से भी पशुओं को बचाया जा सकता है। इस शिविर में 24 पशुपालकों ने हिस्सा लिया।