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Tonk हरी सब्जियों के दाम गिरने से किसान निराश, नहीं निकल पा रही लागत

 
Tonk हरी सब्जियों के दाम गिरने से किसान निराश, नहीं निकल पा रही लागत
टोंक न्यूज़ डेस्क, टोंक सब्जी की खेती से जिले में करीब 10 हजार परिवार जुडे़ हुए हैं। एक हजार परिवार तो जिला मुख्यालय पर है। यह बनास नदी और उसके किनारें पर बने खेतों में सब्जी का उत्पादन करते हैं। टोंक की सब्जी को पसंद किए जाने का दूसरा बड़ा कारण यह भी है कि बिना किसी केमिकल वाले पानी जैसे कुओं व बनास नदी के पानी से होती है। जिले में सब्जी की खेती करीब चार हजार हैक्टेयर में होती है। सब्जी की खेती टोंक में वजीरपुरा, लहन, महादेववाली, कम्पू, बनास नदी, पक्का बंधा, सरवराबाद, सईदाबाद, श्योपुरी में होती है। जबकि प्रमुख रूप से टिंडा पचेवर, पराना, डिग्गी, खुरथल, चौसला, चिरोंज, बनेठा, ककोड़ में होता ही।

आर्थिक रूप से किया कमजोर

पचेवर. किसानों की पहली पसंद हरा मटर ने इस बार आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया है। लगातार घट रहे दामों से सब्जियों की लागत भी नहीं निकल रही है। इससे किसानों में मायूसी छाई हुई है। किसान रामजी लाल चौधरी, हनुमान प्रजापत, राम अवतार गुर्जर, रामसिंह ने बताया कि बाहरी व्यापारियों ने शुरुआती समय में मटर को व्यापारियों ने साठ रुपए प्रति किलो तक खरीदारी की लेकिन अब जब फसल तैयार हुई तो न तो व्यापारी आ रहे हैं और भाव भी 15 रुपए प्रति किलोग्राम पर आ गया है। गोभी, मटर, आलू, मूली और गाजर के साथ ही सब्जियों की बढ़ी हुई आवक के चलते दामों में गिरावट आई है। इससे किसान खासे परेशान हैं।जिले की सब्जियां देश की राजधानी तक महक रही है। इसका कारण यहां शुद्ध पानी है। इसमें बड़ी बात यह भी है कि बीसलपुर बांध और बनास नदी में पानी के साथ कई तरह की खाद भी बहकर आती है। ऐसे में वह तल में जम जाती है और उससे उत्पादन बेहतर होता है।

थालियों में बढ़ रहा है जायका

बाजार में सब्जियों की आवक अधिक होने से दामों में लगातार कमी आ रही है।पिछले एक महीने से सब्जियों के दामों से राहत है।इससे आम वर्ग की थालियों में जायका बढ़ रहा है,वहीं किसानों को लागत निकालना मुश्किल हो रहा है।सब्जियों के गिरे हुए भाव के कारण से जहां एक ओर किचन के बजट में सुधार हुआ है। लोग 100 रुपए में थैली भरकर सब्जी की खरीदारी कर रहे हैं।