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Tonk 10वीं के विद्यार्थियों की गणित की समस्याएं होंगी हल, कलेक्टर पोर्टल कर रहा मददगार

 
Tonk 10वीं के विद्यार्थियों की गणित की समस्याएं होंगी हल, कलेक्टर पोर्टल कर रहा मददगार

टोंक न्यूज़ डेस्क, राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के कक्षा 10 के स्टूडेंट्स को अब गणित विषय में फेल होने या कम नंबर आने की चिंता नहीं सताएगी। टोंक कलेक्टर डॉ. सौम्या झा की ओर से बनवाए गए 'पढ़ाई विद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' पोर्टल उनकी गणित की कमजोरी को दूर करेगा।इसका प्रयोग टोंक कलेक्टर ने इसी माह जिले की स्कूलों में शुरू भी कर दिया है। करीब 3 सप्ताह में ही इसके रिजल्ट अच्छे आ रहे है। अब कलेक्टर की मंशा है कि इसका फायदा प्रदेशभर के स्टूडेंट को मिले। इसके लिए प्रस्ताव बनाकर जल्द सरकार को भेजा जाएगा। सरकार से इसे स्वीकृति मिलती है तो फिर इस पोर्टल के माध्यम से प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में पढ़ाकर गणित की कमजोरी दूर की जाएगी। यह प्रयोग जिले के 352 विद्यालयों में शुरू किया गया है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से गणित विषय को पढ़ने का कक्षा 10 के 11 हजार 982 विद्यार्थियों को लाभ मिल रहा है

कलेक्टर बोलीं- मैं भी गणित में कमजोर थी

कलेक्टर सौम्या ने बताया- मैं भी खुद गणित में कमजोर थी। फिर मैने भी लिख-लिख इसका कंसेप्ट समझा। फिर गणित की कमजोरी दूर हो गई। टोंक जिले में 2023-24 में 10वीं कक्षा का गणित विषय का परिणाम देखा तो उसमे महज 33 प्रतिशत बच्चे ही फर्स्ट डिवीजन पास हुए थे। फिर मैने यहां की टीम को एक पोर्टल बनाने के निर्देश दिए। अब इस पोर्टल से जिले के सभी सरकारी स्कूलों में एक कालांश 7 जनवरी से पढ़ाया जा रहा है। हर 7 दिन में बच्चों का टेस्ट लिया जाता है। इसमें निरंतर बच्चे आगे बढ़ रहे है। सरकार इस पोर्टल से पूरे प्रदेश की स्कूलों में पढ़ाने की स्वीकृति देती है तो निश्चित रूप से गणित विषय में कमजोर बच्चों की कमजोरी दूर होगी।


ऐसे करें लॉगिन

padhaiwithai.in के पेज पर विद्यार्थी सबसे पहले Login Page से Login करेगा उसके बाद पोर्टल खुलेगा, पोर्टल खुलते ही उसके बाद "Solve Maths" वाले Option में "Access Math Tools" में जा कर Select करेगा उसके बाद सबसे पहले "बुक" को select करेगा अगर "Hindi Medium" से है तो Hindi Medium की बुक choose करेगा और अगर "English Medium" का है तो वो English की बुक Select करेगा , बुक select करने के बाद "Chapter Select" करेगा उसके बाद "Load Questions" पर Click करते ही उस Chapter के Questions आ जाएंगे और इसके बाद विद्यार्थी जिस भी प्रश्न का उत्तर देखना चाहता है तो उसके Check Box पर क्लिक करके "Solve" पर क्लिक करने से उसका उत्तर विद्यार्थी को मिल जाएगा। अगर विद्यार्थी उस पाठ से संबंधित प्रश्न देखना चाहता है तो वो उस प्रश्न पर क्लिक करके "Generate More" वाले Option पर Click करने के बाद विद्यार्थी जितने प्रश्न Generate करना चाहेगा वो उतने प्रश्न Generate कर लेगा।

यह है ऐप को उपयोग करने के स्टेप

स्टेप-1

गूगल पर लिखेंगे Padhaiwithai.in

स्टेप-2

यूजर आईडी और पासवर्ड लिखेंगे

स्टेप -3
सॉल्व मैथ्स वाले ऑप्शन पर क्लिक करेंगे

स्टेप-4
चैप्टर सलेक्ट करेंगे

स्टेप-5
Question सिलेक्ट करेंगे और सॉल्व पर क्लिक करेंगे। उसके बाद सवाल का उत्तर आ जाएगा

इस पोर्टल को बनाने से लेकर इसके उपयोग आदि को लेकर कलेक्टर डॉ. सौम्या झा से खास बात की गई।

पढ़िए कलेक्टर से बातचीत के अंश...

सवाल (रिपोर्टर) – 10वीं कक्षा के गणित में कमजोर बच्चों के लिए आपने एक पोर्टल बनाया है। ये पोर्टल कैसे काम करेगा और इसका आइडिया कैसे आया।

जवाब (कलेक्टर) – टोंक में जब शिक्षा विभाग का रिव्यू लेती थी और स्कूलों में जाती थी तो मुझे जानकारी मिली कि यहां पर 10 क्लास के बच्चों का गणित का स्तर थोड़ा कम है। 33 प्रतिशत बच्चे ही 2023-2024 में फर्स्ट डिवीज़न से पास हुए थे। जो कि मुझे चिंताजनक लगा, क्योंकि मैथमेटिक्स एक ऐसा सब्जेक्ट है कि जब आप प्रेक्टिस करते हो तब आप 100 तक ले आते हो तो उसमे 60 परसेंट तक को भी क्रॉस न कर पाना, मुझे लगा कि कही न कही चिंता की बात है। इसके बाद टीचर्स से फीडबैक लिया और सभी प्रिंसिपल्स का एक सर्वे करवाया। सर्वे में मालूम चला कि मैन प्रॉब्लम यह होती है कि एक तो बच्चे जनवरी व फरवरी में जब रिवीजन का समय होता है, तब क्लास आ नहीं पाते। क्योंकि फसल कटाई का समय होता है तो मां-बाप उन्हें घर पर ही रखना पसंद करते है। दूसरा हमें यह बात पता चली कि किताबों में प्रेक्टिस के लिए इतने क्वेश्चन नहीं है जितने की जरूरत है। एक तरह का क्वेश्चन अगर बच्चा रट भी लेगा, फिर भी उससे 10 क्वेश्चन सोल्व नहीं करेगा, तब तक उससे समझ में नहीं आएगा। तीसरी बात हमें ये पता चली कि टीचर की पोस्ट वेकेंट है या फिर टीचर कही न कही कुछ चैप्टर अच्छा पढ़ा देते है और कुछ चैप्टर्स में उन्हें स्वयं कमी आती है| हमें लगा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्योंकि एक नई चीज आई है दुनिया में, जिसमे हर तरीके के सवालों का अच्छे से जवाब मिलता है तो क्यों ना हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का यूज करके ये सारी कमजोरियां दूर करे। इसलिए हमने 'पढ़ाई विद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' पोर्टल बनाया है।

सवाल (रिपोर्टर)- पोर्टल कौन-कौन सी कक्षा के स्टूडेंट्स के लिए मददगार साबित होगा।

जवाब (कलेक्टर) – अभी हमने सिर्फ 10वीं कक्षा के लिए इसकी शुरुआत की है। इसका यह कारण है कि हमारे पास सिर्फ 2 महीने थे। जिसमे कि रिविजन करवा के हम ये देख सकते थे कि इस पोर्टल से कितना इम्प्रूवमेंट आता है। अभी हमने सिर्फ मैथ पे फोकस किया है, क्योंकि हमने ये आइडेंटिफाई किया है कि जब मैथ में बच्चे अच्छा करने लगेंगे, तो कुछ बच्चे जो साइंस मैथ्स लेना चाहते है 11-12 क्लास में, लेकिन मैथ में खराब नंबर आने की वजह से वह नहीं ले पाते है तो इसको हमने इम्प्लीमेंट किया।

सवाल (रिपोर्टर)- ये माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के लिए या फिर सभी के लिए।

जवाब (कलेक्टर)- माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के लिए है।

सवाल (रिपोर्टर)- स्टूडेंट लाइफ में आप भी कभी गणित में कमजोर रहे है।

जवाब (कलेक्टर)- बिल्कुल मैं कमजोर रही हूं। मैं बायो स्टूडेंट हूं। मैथ्स में मैंने काफी स्ट्रगल किया था और मुझे मैथ्स से बहुत डर लगता था, लेकिन मुझे भी बाद में पता चला कि जब आप क्वेश्चन को प्रेक्टिस करने लगते हो तो अचानक से कॉन्सेप्ट समझ में आता है और कॉन्सेप्ट समझने के बाद आप कई क्वेश्चन सॉल्व कर सकते हो।

सवाल (रिपोर्टर)- इस पोर्टल के माध्यम से बच्चों को नियमित पढ़ाया जा रहा है।

जवाब (कलेक्टर)- बिल्कुल नियमित पढ़ाया जा रहा है। हम लोगों के पास अलग-अलग डैस बोर्ड है स्कूल का। ब्लॉक लेवल का है और कलेक्टर का है तो हम ये देख पाते है की टीचर कितनी बार लॉग इन कर रहे है। पोर्टल पे कितनी बार टेस्ट पेपर ला रहे है, क्वेश्चन जेनरेट कर रहे है। जो हमारे वीकली टेस्ट होते है उनका आंसर भी पोर्टल पर दिखता है। उनके मार्क्स भी पोर्टल पर दिखते है और स्कूल लेवल पर परफॉर्मेंस दिखती है कि कौनसा स्कूल किस टेस्ट में अच्छा कर रहा है। कौनसा बच्चा किस टेस्ट में अच्छा कर रहा है और कौनसा बच्चा किस टेस्ट में बुरा कर रहा है तो इस तरह से हमारी ओवरआल मॉनिटरिंग होती है।

सवाल (रिपोर्टर)- पोर्टल को कब से लॉन्च किया।

जवाब (कलेक्टर)- 7 जनवरी इस पोर्टल को टोंक जिले के बच्चों के लिए लॉन्च किया था।

सवाल (रिपोर्टर)- आप चाहते है कि इस पोर्टल का फायदा जिले के बाहर के यानि प्रदेश भर बच्चों को भी मिले, ऐसी कुछ प्लानिंग जिसे सरकार को भी आप भेज रहे है।

जवाब(कलेक्टर)- बिल्कुल हम सिर्फ यहां पर एक ट्रायल कर रहे थे। तीन हफ्ते में हमें जो रिस्पोंस आया है वह अच्छा आया है।