Tonk अरबी फारसी शोध संस्थान प्राचीन ग्रंथों के लिए प्रसिद्ध, यहां आते देश-विदेश से शोधकर्ता
टोंक न्यूज़ डेस्क, टोंक मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान में भारत के अलावा कई देशों से शोधार्थी संस्कृत, अरबी और फारसी की सामग्री की तलाश में आते रहते हैं। कई बार लोगों को प्राचीन स्थल भी देखने होते हैं तो उन्हें मौके पर जाना पड़ता है। ऐसे में संस्थान ने पूर्व टोंक नवाबी रियासत के परगनों के प्राचीन स्थलों की तस्वीर की दीर्घा बनाई है। ताकि दूर-दूर तक फैले परगनों के प्राचीन स्थलों को एक ही कक्ष में आसानी से चित्रों के माध्यम से देखा जा सके। वहीं मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान परिसर में ही नया म्यूजियम बनाने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा है। इसको मंजूरी मिली तो यहां आने वाले लोगों को यहां मौजूद प्राचीन ग्रंथ समेत अन्य को देखने में आसानी होगी।
खजाना करता है आकृषित: एपीआरआई में दुनिया की सबसे बड़ी कुरआन समेत एक लाख 26 हजार 505 से अधिक दुर्लभ ग्रंथ व किताबें हैं। इनमें से कई ग्रंथ तो ऐसे हैं, जो एपीआरआई के अलावा कहीं नहीं है। इनमें बगदाद पुस्तकालय के जाद-उल-मसीर तथा रेखा गणित पर आधारित तहरीर-ए-उन्लीदस है। जो लोगों को यहां आने के लिए आकृषित करता है। एपीआरआइ के कर्मचारियों के मुताबिक 1200 ईसा पूर्व बगदाद पुस्तकालय की करीब 10 लाख पुस्तकों को हलाकू ने दजला दरिया में डाल दिया था। एपीआरआई में रखी ये दो पुस्तकें दरिया में डाले जाने वाली ही है। इसके अलावा फारसी में लिखी महाभारत, भगवत गीता, औरंगजेब की हस्तलिखित कुरआन-उल-करीम, ईरान के 74 बादशाहों की जीवनी वाली अगराज-उस-सियासह तथा बादशाह अकबर तथा जहांगीर के फरमान समेत अन्य ग्रंथ भी एपीआरआइ के अलावा कहीं नहीं है।
विश्व प्रसिद्ध मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान में जल्द ही नया म्यूजियम बनाया जाएगा। फिलहाल इसका प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा है। वहीं प्राचीन स्थलों की दीर्घा लगाई गई है। यह संस्थान देश-विदेश के शोधार्थियों के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखता है। पूर्व टोंक नवाबी रियासत के परगनों में प्रसिद्ध स्थलों के चित्रों की दिर्घा लगाई है। म्यूजियम का प्रस्ताव व नक्शा सरकार को भेजा है। इसको मंजूरी मिल गई तो इससे काफी फायदे होंगे। पर्यटक यहां ज्यादा आएंगे।
