Tonk बीसलपुर में जलभराव से मिट्टी निकालने का काम एक पखवाड़े में शुरू हो जाएगा
टोंक न्यूज़ डेस्क, टोंक बीसलपुर बांध के जलभराव से पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) व स्टेट प्लानिंग के तहत जलभराव से मिट्टी, कचरा व बजरी निकालने का कार्य आगामी एक पखवाड़े में जल्द ही संवेदक कम्पनी की ओर से शुरू करने की संभावना है। बांध से बजरी, मिट्टी, पत्थर व कचरा निकालने के लिए कार्य करने वाली एनजी गडिया (कन्सोटियम) कम्पनी जयपुर ने तैयारी शुरू कर दी है। योजना के तहत सर्वे आदि का कार्य पूर्व में ही पूरा कर लिया गया था। आगामी एक पखवाड़े के दौरान जलभराव से मिट्टी, पत्थर, बजरी व कचरा आदि निकालने पर कार्य शुरू होने की उम्मीद है। एनजी गडिया (कन्सोटियम) कम्पनी जयपुर के प्रोजेक्ट मैनेजर विरल पटेल ने बताया कि योजना के तहत कार्य शुरू होने में लगभग 15 दिवस ओर लगने की संभावना है। योजना के तहत बांध के जलभराव से मिट्टी ,पत्थर, बजरी व कचरा आदि निकालने के लिए कम्पनी की ओर से विशेष प्रकार का जहाज़ रूपी ड्रैगर नामक मशीन गुजरात में बन रही है। जो लगभग तैयार होने के करीब है। उसके तैयार होकर आते ही योजना पर कार्य शुरू करवा दिया जाएगा।
टोंक जिले में स्थित बीसलपुर बांध से मिट्टी व कीचड़ निकालने के बाद इसमें आवक बढ़ जाएगी। साथ ही इसमें जलभराव भी बढ़ जाएगा। फिलहाल मिट्टी अधिक होने से जलभराव दिखता तो है, लेकिन उसमें पानी कम होता है। मिट्टी निकालने के बाद पानी बढ़ जाएगा। बीसलपुर बांध बनने के बाद से लेकर अब तक बांध के जलभराव में मिट्टी, पत्थर बजरी, कचरा आदि जमा हुए हैं। जिससे बांध के कुल जलभराव में पानी भराव की मात्रा भी घटी है। ऐसे में बांध की सतह से कीचड़ व मिट्टी आदि निकालने के बाद बांध में पानी की जलभराव क्षमता कुल जलभराव की लगभग दस प्रतिशत तक बढ़ने की सम्भावना है। जो ईसरदा बांध परियोजना की कुल जलभराव क्षमता के बराबर है।
बीसलपुर बांध के जलभराव से मिट्टी पत्थर बजरी कचरा आदि निकालने का कार्य शुरू होने के बाद से लेकर अंतिम चरण के कार्य में बांध की घटी जलभराव क्षमता बढ़ाने के साथ ही योजना के दौरान निकटवर्ती गांव कस्बों के सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। प्रोजेक्ट मैनेजर विरल पटेल ने बताया कि योजना के तहत बांध के जलभराव क्षेत्र लगभग 215 स्क्वायर किलोमीटर पर कार्य करना है। यह कार्य करीब बीस वर्ष तक चलेगा। योजना के शुरूआत में सरकार को मिनिमम 256 करोड़ की राजस्व आय प्राप्त होगी। वही बाद में यह राशी बढाई जा सकती है।