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बीसलपुर बांध की जलधाराओं में छिपी है पुरातात्विक अवशेषों की कहानी, वीडियो में देखें रोचक तथ्य

 
बीसलपुर बांध की जलधाराओं में छिपी है पुरातात्विक अवशेषों की कहानी, वीडियो में देखें रोचक तथ्य

टोंक न्यूज़ डेस्क, प्रदेश के टोंक जिले का बीसलपुर बांध राजधानी जयपुर समेत कई जिलों की लाइफलाइन कहा जाता है। यह बांध टोंक, अजमेर, किशनगढ़, ब्यावर और जयपुर ग्रामीण समेत क्षेत्रों के लोगों की कई सालों से प्यास बुझा रहा है। बीसलपुर बांध की भराव क्षमता 315.50 आर एल मीटर है। इसमें 38.70 टीएमसी पानी संग्रहित होता है। इस संग्रहित पानी में से 16.2 टीएमसी पानी सिंचाई के लिए आरक्षित है। जबकि बीसलपुर बांध की बाईं और दाईं बनी मुख्य नहर के माध्यम से 8 TMC पानी फसलों की सिंचाई के लिए छोड़ा जाता है। बीसलपुर बांध राजस्थान के बड़े बांधों में माना जाता है। इसमें बांध के कुल 18 गेट है। वर्तमान में बीसलपुर बांध में पानी की लगातार आवक बनी हुई है। बीसलपुर बांध का सोमवार सुबह 6 का जलस्तर 313.90 आर एल मीटर पहुंच चुका हैं।

बीसलपुर बांध में सबसे ज्यादा जलभराव क्षमता

राजस्थान में सबसे ज्यादा जल भराव की क्षमता बीसलपुर बांध की है। यहां पूर्ण भराव क्षमता के बाद अधिशेष (ओवरफ्लो ) पानी को डैम के गेट से छोड़ा जाता है। यह काफी मनोहर दृश्य होता है। इसको देखने के लिए बारिश के दिनों में लोगों की काफी भीड़ जमा हो जाती है। बारिश के दिनों बीसलपुर डैम पर बेहद मनोरम अहसास होता है। लोगों को यहां अलग सूकून की अनुभूति होती है।

​पूरा जलभराव होने के बाद लगता है समुद्र जैसा​

बीसलपुर बांध के अपनी पूर्ण भराव क्षमता 315.50 आर एल मीटर पहुंचने के बाद पानी का फैलाव समुद्र जैसा प्रतीत होता हैं। बांध के भरने के बाद डैम की अपस्ट्रीम में पानी का फैलाव, इस तरह से दिखाई देता है कि यहां जमीन और आसमान दोनों मिले हुए प्रतीत होते। बीसलपुर बांध की विशालता भी अपने आप में देखने लायक है। यहां पहुंचने वाले लोग इसे देखकर हैरान हो जाते हैं।

पर्यटन की दृष्टि से राजस्थान के प्रमुख स्थानों में से एक

बीसलपुर बांध पर्यटन की दृष्टि से राजस्थान के प्रमुख स्थानों में से एक है। जहां मानसून और बारिश के दौरान डैम से पानी छोड़ते समय का दृश्य देखने के लिए जयपुर, अजमेर समेत कई जिलों से कई पर्यटक यहां आते हैं। बारिश के दिनों में जहां अलग रौनक रहती है। बड़ी संख्या में लोग पहुंचे हैं। यहां रूककर मौसम का आनन्द लेते हैं।

वो मंदिर, जहां रावण ने तपस्या​

बीसलपुर बांध के समीप प्रसिद्ध गोकर्णेश्वर महादेव मंदिर बना हुआ है। जो लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। जिसके बारे में कहा जाता है कि रावण ने यहां तपस्या की थी। इस दौरान पर्यटन के लिए आने वाले लोगों का श्रावण माह में मंदिर में तांता लगा रहता है। सावन के मौके पर यहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।

​खेतों की सिंचाई के लिए भी वरदान बीसलपुर बांध

बीसलपुर बांध टोंक जिले के खेतों की सिंचाई के लिए वरदान है। बीसलपुर बांध से खेतों की सिंचाई के लिए 8 टीएमसी पानी संग्रहित है। इस दौरान टोंक जिले के 81 हजार 800 हेक्टेयर जमीन को बांध से सिंचाई के लिए पानी मिलता है। बीसलपुर बांध के जरिए जहां लोगों को घरों में पानी की सप्लाई होती है। वहीं प्रदेशवासियों के सिंचाई और दूसरे कई उद्देश्यों की पूर्ति भी बीसलपुर बांध करता है।