Tonk सुनहरी कोठी पर लटका है ताला, हुई बदहाल, लोग हुए गुमराह

पर्यटन विभाग के सहायक निदेशक मधुसूदन सिंह ने बताया कि उनकी सुनहरी कोठी को लेकर फिलहाल कोई विकास योजना नहीं है। पूर्व में इसके लिए धनराशि स्वीकृत की गई थी, जिसके तहत पुरातत्व विभाग द्वारा कार्य कराया जाना था। जिन तस्वीरों की बात हो रही है वो मैंने नहीं देखी हैं. पहले की तस्वीरें हो सकती हैं. ये मेरी जानकारी में नहीं है. जार बाग इलाके में रहने वाले अरशद समेत कई लोगों ने बताया कि काफी समय से यहां की तस्वीर नहीं बदल रही है. राशि स्वीकृत की जा रही है, लेकिन स्थिति यह है कि पर्यटक आते हैं और ताला लगा देख निराश होकर लौट जाते हैं। यह सुनहरी हवेली पिछले 20 सालों से अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। यहां की तस्वीर अच्छी नहीं है. दिखाई जा रही तस्वीरें बहुत पुरानी हो सकती हैं. विभाग को गुमराह नहीं होना चाहिए. सिर्फ हकीकत दिखानी चाहिए.
जानकारों का कहना है कि सुनहरी कोठी का निर्माण कार्य 1824 में शुरू हुआ था। इसका काम चौथे नवाब इब्राहिम अली खान के समय में पूरा हुआ था। इसके निर्माण में करीब दस लाख रुपये की लागत आयी है. यह घर उस समय बना था जब सोना 15 रुपये किलो हुआ करता था और मजदूरी 15 पैसे हुआ करती थी। उस समय इसे 10 लाख रुपये की लागत से बनाया गया था। इसके बारे में 'प्राचीन रहस्य जिला टोंक' पुस्तक में भी जानकारी दी गई है। 2014 में नई दिल्ली में आयोजित 34वें व्यापार मेले में सुनहरी कोठी की तस्वीर राजस्थान मंडप का मुख्य आकर्षण थी। लेकिन कोठी का जो विकास होना चाहिए वह नहीं हो रहा है। जहां कभी सोने की नक्काशी चमचमाती थी, अब वह बदरंग हो गई है। विश्व प्रसिद्ध गोल्डन पैलेस में रेनोवेशन के नाम पर लंबे समय से ताला लगा हुआ है। अब वहां के हालात ऐसे नजर आ रहे हैं कि जहां सोनी की नक्काशी नजर आती थी, वहां के हालात जर्जर नजर आ रहे हैं।
इनपुट: एम असलम