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Tonk मिट्टी की गणेश प्रतिमा लेकर पर्यावरण और जल प्रदूषण रोकने के लिए लोग हुए जागरूक

 
Tonk मिट्टी की गणेश प्रतिमा लेकर पर्यावरण और जल प्रदूषण रोकने के लिए लोग हुए जागरूक

टोंक न्यूज़ डेस्क, टोंक गणेश चतुर्थी पर्व के मौके पर घर-घर में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जा रही है. खास बात यह है कि अब लोग मिट्टी की मूर्तियां ज्यादा पसंद कर रहे हैं। जो पर्यावरण एवं जल प्रदूषण को रोकने में कारगर साबित हो रहा है। टोंक में गणेश प्रतिमाएं बेचने वाले अस्थायी दुकानदारों का कहना है कि चाहे पर्यावरण संरक्षण का मकसद हो या मिट्टी की गणेश प्रतिमाओं के प्रति बढ़ता रुझान, प्रतिमाएं खरीदने आ रहे लोग सीधे तौर पर मिट्टी की प्रतिमाओं की मांग कर रहे हैं. अब पीओपी से बनी मूर्तियों की मांग नहीं रही। आम लोगों का भी मानना है कि स्थापना के लिए मिट्टी की मूर्ति सर्वोत्तम होती है।

दरअसल, हर बार अनंत चतुर्दशी पर गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन को लेकर सबसे बड़ी चिंता जल प्रदूषण को लेकर होती है, क्योंकि प्लास्टर ऑफ पेरिस यानी पीओपी से बनी मूर्ति पानी में नहीं घुलती है. जिससे जल प्रदूषण बढ़ता है। साथ ही जलीय जंतुओं को भी नुकसान होता है. मिट्टी की मूर्तियां अच्छी तरह विसर्जित होती हैं और पानी में पूरी तरह घुल जाती हैं। टोंक में गांधी पार्क, बमोर गेट सहित कई स्थानों पर दर्जनों दुकानों पर मिट्टी से बनी मूर्तियां बिक्री के लिए उपलब्ध हैं. हालांकि, कुछ जगहों पर पीओपी की मूर्तियां भी बिक रही हैं। टोंक के बाजार में सबसे छोटे साइज 10 सेंटीमीटर से लेकर 2 फीट तक की मिट्टी की मूर्तियां मिलती थीं. उससे बड़ी मूर्ति बुकिंग पर उपलब्ध है. मूर्ति विक्रेता विष्णु ने बताया कि मिट्टी की मूर्तियां 50, 100, 200, 250, 551, 1100, 1500, 2100, 2500 से 5100 रुपये तक उपलब्ध हैं. आज बड़ी संख्या में लोग मूर्ति खरीद रहे हैं.

मिट्टी की मूर्तियाँ पवित्र होती हैं। डॉ. पंडित पवन सागर ने बताया कि शास्त्रों में मिट्टी को पवित्र माना गया है, इसलिए गणेश चतुर्थी पर मिट्टी के गणेश की ही स्थापना करनी चाहिए। मिट्टी की मूर्ति में पांच तत्व होते हैं। इसलिए पुराणों में भी ऐसी मूर्ति की पूजा का विधान बताया गया है। मिट्टी की प्रतिमा पवित्र है. ऐसी मूर्ति में भगवान गणेश का आह्वान और पूजन करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। माता पार्वती ने अपने पुत्र की इच्छानुसार मिट्टी का एक पुतला बनाया था। तब भगवान शिव ने उसमें प्राण फूंके, वे भगवान गणेश थे। मिट्टी की मूर्तियों को लेकर बढ़ते चलन को देखते हुए तरह-तरह के प्रयोग कर मूर्तियां तैयार की जा रही हैं। वहीं, दिल्ली समेत कई बाहरी राज्यों से मूर्तियां मंगवाकर स्टॉक किया गया था। इस बार राजस्थानी साफा, महाराष्ट्रीयन और गुजराती पगड़ी के साथ गणेश जी की मूर्तियां भी मौजूद हैं।