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टोंक में सेमिनार में हुई चर्चा; लोगों को किया जागरूक

दुनिया का एक ऐसा भी देश है, जहां पर मच्छर नहीं होते हैं। इस बात की जानकारी यूनानी चिकित्‍सालय में विश्व मच्छर दिवस पर आयोजित सेमिनार में दी गई। आखिर वहां मच्छर क्यो नहीं होते है, इस बारे में वैज्ञानिकों द्वारा भी कारण खोजे जा रहे हैं.......

 
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राजस्थान न्यूज़ डेस्क !!! दुनिया का एक ऐसा भी देश है, जहां पर मच्छर नहीं होते हैं। इस बात की जानकारी यूनानी चिकित्‍सालय में विश्व मच्छर दिवस पर आयोजित सेमिनार में दी गई। आखिर वहां मच्छर क्यो नहीं होते है, इस बारे में वैज्ञानिकों द्वारा भी कारण खोजे जा रहे हैं। टोंक के यूनानी चिकित्सालय में विश्व मच्छर दिवस पर सेमिनार का आयोजन में कई ज्ञानवर्धक जानकारियों को साझा किया गया।

इस अवसर पर नगर पालिका परिषद के चेयरमैन अली अहमद ने भी मच्छरों से होने वाली बीमारियों से सावधान रहने के साथ-साथ अपने आसपास अच्छा एवं स्वस्थ वातावरण तैयार करने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर अभिभावकों ने इंग्लिश मीडियम स्कूल एवं ग्रीक हॉस्पिटल परिसर में व्याप्त समस्याओं से भी अवगत कराया। इस पर अली अहमद ने हरसंभव सहयोग देने का आश्वासन दिया. उन्होंने मौके पर ही नगर परिषद के अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये.

अस्पताल अधीक्षक डाॅ. मोहम्मद अकमल, यूनानी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. इरशाद खान, कुलपति डाॅ. नाजिया शमशाद, डॉ. सरफराज, डाॅ. आसिफ अहमद, डॉ. फिरोज आदि ने ज्ञानवर्धक जानकारी दी। इस मौके पर बीयूएमएस के छात्र-छात्राओं समेत कई लोग मौजूद रहे।

इस अवसर पर डाॅ. आसिफ अहमद खान ने मलेरिया, डेंगू, जीका और चिकनगुनिया जैसी मच्छर जनित बीमारियों के खिलाफ वैश्विक जागरूकता अभियानों में भाग लिया। उन्होंने मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम पर विस्तार से व्याख्यान दिया और यूनानी चिकित्सा पद्धति के योगदान के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि लेमनग्रास, लोबान, कपूर और एलोवेरा जैसी यूनानी दवाओं का इस्तेमाल मच्छरों को भगाने के लिए किया जाता है। साथ ही उन्होंने कहा कि यूनानी चिकित्सा के माध्यम से मच्छर जनित बीमारियों के इलाज के लिए कई दवाएं उपलब्ध हैं और शोध किया जा रहा है।

डॉ. सरफराज ने कहा कि यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि आइसलैंड में मच्छर क्यों नहीं हैं। वैज्ञानिक भी इसका कारण तलाश रहे हैं। लेकिन अद्वितीय जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र, नियमित फ्रीज-पिघलना चक्र और स्थिर पानी की कमी को मच्छरों के प्रजनन और जीवित रहने के लिए अनुपयुक्त परिस्थितियों के निर्माण का प्रमुख कारण माना जाता है। इस अवसर पर डाॅ. हिना, डॉ. साम्बुल, डॉ. जीशान के साथ लेखक एम. असलम, अफजल हुसैन आदि भी मौजूद रहे।