जलदाय विभाग की लापरवाही का बड़ा खामियाजा! खुले कुएं में गिरने से युवक की मौत, अधिकारियों ने कड़ी कार्यवाही का दिया दिलासा
डिग्गी थाना क्षेत्र के सीतारामपुरा गांव में जलदाय विभाग की लापरवाही के चलते एक कॉलेज छात्र की मौत हो गई। वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान था। शनिवार को वह गायों को चराने के लिए गांव से बाहर गया था। कॉलेज छात्र बिना मुंडेर के खुले कुएं में गिर गया और पानी में डूबने से उसकी मौत हो गई। शनिवार शाम को इसका पता चलने पर लोगों ने पुलिस की मौजूदगी में उसे बाहर निकाला। मृतक डिग्गी क्षेत्र के सीतारामपुरा निवासी हर्षित तिवारी (20) पुत्र बजरंग लाल तिवारी है।
दूसरी ओर खुले कुएं को लेकर लोगों में गुस्सा है। लोगों का कहना है कि राज्य सरकार ने दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर खुले कुओं को ढकने के आदेश दे रखे हैं, इसके बावजूद इसकी अनदेखी की जा रही है। सीतारामपुरा स्थित इस कुएं पर यदि लोहे का जाल होता तो यह हादसा टल सकता था। कॉलेज छात्र की जान नहीं जाती। जलदाय विभाग करीब 20 साल से इस कुएं से गांव में पेयजल आपूर्ति कर रहा है।
लोगों ने बताया कि हर्षित तिवारी ने हाल ही में कॉलेज प्रथम वर्ष की परीक्षा दी थी। वह इकलौता बेटा था। शनिवार सुबह करीब साढ़े सात बजे वह अपनी गायों को लेकर घर से निकला था। वह अपनी गायों को गांव के बाहर गुड़ला की नाडी के पास पानी पिलाने ले गया था। नाडी के पास सीतारपुरा गांव में जलदाय विभाग की ओर से की जा रही पेयजल सप्लाई के खुले कुएं में वह गिर गया। कयास लगाए जा रहे हैं कि वह पीने के लिए कुएं की दीवार पर लगी छोटी पीपी से पानी खींच रहा होगा और संतुलन बिगड़ने से गिर गया। इससे उसकी मौत हो गई। शाम तक हर्षित के घर नहीं लौटने पर परिजन उसकी तलाश में निकले। शाम करीब छह बजे उसकी तलाश करते हुए परिजन जलदाय विभाग की जल सप्लाई वाले कुएं के पास पहुंचे तो कुएं में हर्षित की चप्पलें दिखाई दी। उसके डूबने की आशंका जताते हुए डिग्गी थाना पुलिस को सूचना दी।
पुलिस मौके पर पहुंची और शाम सात बजे हर्षित के शव को कुएं से बाहर निकाला। इसके बाद शव को डिग्गी अस्पताल ले जाया गया जहां रविवार सुबह चिकित्सकों की टीम ने पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सौंप दिया। इस दुखद घटना से पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। गौरतलब है कि राजस्थान सरकार ने सभी खुले कुओं पर सुरक्षा की दृष्टि से जाल या ढक्कन लगाने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं। इसका उद्देश्य खुले कुओं में गिरने वाले जान-माल की सुरक्षा करना था। इस मामले में जलदाय विभाग की घोर लापरवाही सामने आई है। जिस कुएं से पानी की आपूर्ति होती है, वह पूरी तरह खुला हुआ था। यदि समय रहते इस कुएं पर सुरक्षा जाल लगाया गया होता तो आज एक होनहार युवक की जान बच सकती थी। जब सरकार ने स्पष्ट आदेश जारी किए हैं तो फिर जलदाय विभाग उनकी अनदेखी क्यों कर रहा है? सार्वजनिक स्थानों पर बने ऐसे खतरनाक कुओं को सुरक्षित करने की जिम्मेदारी किसकी थी? करीब 3 महीने पहले बालापुरा निवासी खुशीराम की भी खुले कुएं में गिरने से मौत हो गई थी।
परिवार का सपना टूट गया
हर्षित तिवारी एक होनहार छात्र था। वह काफी समय से अपने परिवार के साथ जयपुर में रहकर उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहा था। वह एक दिन पहले ही गांव में आयोजित एक सामाजिक कार्यक्रम में शामिल होने अपने पैतृक गांव आया था। परिजनों के अनुसार हर्षित का सपना था कि वह पढ़-लिखकर परिवार और गांव का नाम रोशन करेगा। लेकिन विभागीय लापरवाही ने उसके सपनों को बीच में ही चकनाचूर कर दिया।
जलदाय विभाग का लापरवाह रवैया
इस दुखद घटना के बाद जब मीडिया ने जलदाय विभाग के अधिकारियों से बात की तो मालपुरा जलदाय विभाग के एक्सईएन संदीप बटार ने सिर्फ इतना कहकर पल्ला झाड़ लिया कि मामले की जांच की जाएगी।
