Aapka Rajasthan

Sriganganagar फार्मासिस्टों ने रखा सामूहिक अवकाश, नारेबाजी कर जताया विरोध

 
Sriganganagar फार्मासिस्टों ने रखा सामूहिक अवकाश, नारेबाजी कर जताया विरोध
श्रीगंगानगर न्यूज़ डेस्क, श्रीगंगानगर  जिले के करीब नब्बे से ज्यादा फार्मासिस्टों ने विभिन्न मांगों के संबंध में शुक्रवार को सामूहिक अवकाश रखा। इन लोगों का कहना था कि उन्हें नर्सिंगकर्मियों की तरह भत्ते दिए जाऐ चाहिए। इसके अलावा वे पदनाम बदलने की भी मांग कर रहे थे। इन लोगों ने कुछ दिन पहले अस्पताल में क्रमिक धरना लगाया था। इसके बाद ग्यारह सितंबर से चौदह सितम्बर तक हर दिन दो-दो घंटे कार्य बहिष्कार किया था। इसके बावजूद कार्रवाई नहीं होने पर पंद्रह सितंबर को सामूहिक अवकाश लिया गया। सरकारी अस्पताल के पीएमओ डॉ.केएस कामरा को सौंपे ज्ञापन में राजस्थान फर्मासिस्ट कर्मचारी संघ के सदस्यों ने मांगों पर कार्रवाई नहीं होने पर शनिवार से हर दिन दो-दो घंटे तक काम के बहिष्कार की चेतावनी दी है। फार्मासिस्टों ने शुक्रवार को अस्पताल के गेट के पास टैंट लगाकर नारेबाजी की और रोष जताया। पीएमओ डॉ.केएस कामरा ने बताया कि सरकारी अस्पताल में फार्मासिस्टों की हड़ताल के चलते दवा वितरण के लिए नर्सिंग कर्मियों और फार्मासिस्टों के सहायकों को लगाया गया है। आंदोलन लंबा चलने पर भी पर्याप्त प्रबंध किए जाएंगे। काम प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।

बहिष्कार से अटक सकता है गोशालाओं का सर्वे

 पशु चिकित्सकों के कार्य बहिष्कार से श्रीगंगानगर जिले में अनुदान के लिए गोशालाओं का सर्वे तथा कामधेनु बीमा योजना का काम अटक गया है। पशु चिकित्सक नॉन प्रेक्टिस अलाउंस (एनपीए) की मांग को लेकर 7 सितम्बर से कार्य का बहिष्कार कर रहे हैं। पशु चिकित्सकों ने एनपीए की मांग खारिज होने के बाद कामधेनु बीमा योजना के साथ गोशालाओं का सर्वे करने के काम का बहिष्कार कर रखा है। इसके साथ ही गोपालन से जुडे कार्य का भी उन्होंने बहिष्कार कर रखा है। कामधेनु योजना में दुधारू पशुओं का बीमा किया जाता है ताकि पशु की मौत पर पशु पालक को आर्थिक सहायता मिल सके।

गोशालाओं का सर्वे गोवंश का भौतिक सत्यापन करने के लिए किया जाता है। सर्वे समय पर नहीं हुआ तो गोशालाओं में रहने वाले गोवंश की संख्या के आधार पर राज्य सरकार प्रति गोवंश जो अनुदान देती है, वह समय पर नहीं मिलेगा। इससे उन गोशालाओं में गोवंश के लिए चारे का संकट खड़ा हो सकता है, जो अनुदान के सहारे चल रही है। इन गोशालाओं में चारे का संकट पैदा हो सकता है।पशुपालन विभाग प्रत्येक छह माह में गोशालाओं में रहने वाले गोवंश का सर्वे करवाता है। इस बार यह सर्वे 25 सितंबर से शुरू होना है। यदि पशु चिकित्सकों की मांग नहीं मानी गई तो भौतिक सत्यापन शुरू नहीं होगा।