कम लागत ज्यादा मुनाफा....किसानो को मालामाल कर रही खेती की ये इजरायली तकनीक, यहां विस्तार से जानिए सबकुछ

श्रीगंगानगर के किसान इन दिनों इजरायली बंडिंग तकनीक से कपास की खेती कर खूब मुनाफा कमा रहे हैं। यह तकनीक न केवल पानी और समय बचाती है, बल्कि उत्पादन बढ़ाने और फसल को बीमारियों से बचाने में भी कारगर है। किसानों का कहना है कि इस विधि से खेती करने पर लागत कम आती है और फसल की गुणवत्ता भी अच्छी होती है। बंडिंग तकनीक में खेत को समतल करके मेंड बनाई जाती है, जिससे पानी का सही उपयोग होता है। किसान रवि के अनुसार इस विधि से पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं और 60 से 70 प्रतिशत पानी की बचत होती है। प्रत्येक पौधे के बीच चार फीट की दूरी रखी जाती है, जिससे प्रति बीघा पांच क्विंटल तक उत्पादन संभव है।
रोगों से बचाव
कपास की फसल में अक्सर उखड़ने की बीमारी का खतरा रहता है, जिसमें पौधा धीरे-धीरे नष्ट हो जाता है। बंडिंग तकनीक फसल को इस बीमारी से बचाती है। साथ ही बारिश के बाद फसल खराब होने का खतरा भी कम हो जाता है, जिससे किसानों को नुकसान नहीं उठाना पड़ता।
समय और लागत की बचत
इस तकनीक से जून में भी कपास की बिजाई की जा सकती है, बशर्ते जल्दबाजी न हो। मेड़बंदी के लिए समतल भूमि का चयन करना जरूरी है, जहां जलभराव न हो। मेड़ों को मजबूत और सही दूरी पर बनाना जरूरी है, ताकि बारिश का पानी रुक सके और फसल को पर्याप्त पोषक तत्व मिल सकें। मेड़ों की सफलता के लिए समय-समय पर रखरखाव जरूरी है। मेड़ों की मरम्मत और पानी के बहाव की निगरानी करके फसल को झुलसा रोग से बचाया जा सकता है। किसानों का कहना है कि इस तकनीक से उनकी मेहनत आसान हुई है और फसल अधिक लाभदायक हुई है।
किसानों में उत्साह
बंडलिंग तकनीक को लेकर श्रीगंगानगर के किसान काफी उत्साहित हैं। यह तकनीक न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि खेती को आधुनिक और टिकाऊ बनाने में भी मदद कर रही है। जिले में कपास की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है, लेकिन देरी से बुवाई करने वाले किसान भी बंडलिंग के जरिए अच्छा उत्पादन ले सकते हैं।