72 गोले बरसाने की जगह अब बनेगी देशभक्ति की मिसाल, लहराएगा 72 फीट का तिरंगा

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा देखते ही हमारे मन में राष्ट्रीयता, गौरव, देशभक्ति और वीर शहीदों के प्रति सम्मान की भावना पैदा होती है, लेकिन जब यही ध्वज पाकिस्तान की सीमा से मात्र एक किलोमीटर दूर लहराता है, तो भारतीय होने पर गर्व होना स्वाभाविक है। कहा जाता है कि 1971 के युद्ध में पाकिस्तान ने इस स्थान पर 72 गोले दागे थे, लेकिन अब भारतीय सेना ने वहां 72 फीट ऊंचा विशालकाय तिरंगा स्थापित कर दिया है। जी हां, आपको जानकर गर्व होगा कि भारतीय सेना ने यह कारनामा दो दिन पहले ही कर दिखाया है। कस्बे के नग्गी गांव में बने शहीद स्मारक व दुर्गा मंदिर के मुख्य द्वार के सामने 72 फीट की ऊंचाई पर विशालकाय ध्वज स्थापित किया गया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह स्थान भारत-पाकिस्तान सीमा से मात्र सवा किलोमीटर दूर है। ऊंचाई पर होने के कारण यह विशालकाय ध्वज दूर से ही हवा में लहराता नजर आता है। ऐसे में यह ध्वज न केवल सीमांत क्षेत्र के आम लोगों का मनोबल बढ़ाएगा, बल्कि उनमें देशभक्ति की भावना भी भरेगा। साथ ही पड़ोसी देश को भारतीय सेना की ताकत का एहसास भी लगातार करवाएगा।
जल्द होगा औपचारिक उद्घाटन
जानकारी के अनुसार इस झंडे की लागत करीब पांच-छह लाख रुपये है और इसे कस्बे के तीन समाजसेवी लोगों के साथ एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी ने आर्थिक सहयोग किया है। फिलहाल सेना की ओर से इस संबंध में कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। बताया यह भी जा रहा है कि सेना जल्द ही एक भव्य कार्यक्रम के तहत इसका औपचारिक उद्घाटन करने जा रही है।
पाकिस्तान ने यहां दागे थे 72 गोले
बता दें कि 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना की करारी हार के बाद सीमा क्षेत्र में शांति थी। सीमा पर तैनात भारतीय सेना वापस लौट गई थी। इसी बीच युद्ध के दस दिन बाद पाकिस्तानी सेना नापाक इरादों से भारतीय सीमा में घुस आई और गांव 36 एच नग्गी के पास रेतीले टीलों में करीब एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र (कोनी टिब्बा क्षेत्र) पर कब्जा कर लिया।
इस पर भारतीय सेना की 4 पैरा बटालियन को क्षेत्र को आजाद कराने की जिम्मेदारी दी गई। आदेश की अनुपालना में बटालियन के वीर जवानों ने योजना बनाकर 28 दिसंबर 1971 को सुबह 4 बजे पाकिस्तानी सेना पर हमला बोल दिया और दो घंटे के भीतर ही पाकिस्तानी सेना को वापस घर भेज दिया। युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने 72 तोप के गोले दागे, जिससे बटालियन के 3 अधिकारी और 18 जवान शहीद हो गए। गांव नग्गी के निकट टीलों में हुआ युद्ध भारतीय सेना में आज भी अविस्मरणीय है। इसका कारण यह है कि यह 1971 के भारत-पाक युद्ध की समाप्ति के बाद हुआ था। रेतीले टीलों में होने के कारण यह युद्ध भारतीय सेना के इतिहास में सैंड ड्यून के नाम से दर्ज है। ऐसे वीर जवानों की याद में यहां एक स्मारक और मंदिर बनाया गया। सीमा से मात्र एक किमी की दूरी पर स्थित यह स्मारक आज भी युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर जवानों की याद दिलाता है। उनकी याद में यहां हर वर्ष 28 दिसंबर को एक कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है।