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Gangaur 2025: शेखावाटी के इस गांव में 300 सालों से लगता आ रहा है गणगौर का अनोखा मेला, केवल पुरुष करते हैं ईसर जी का श्रृंगार

 
Gangaur 2025: शेखावाटी के इस गांव में 300 सालों से लगता आ रहा है गणगौर का अनोखा मेला, केवल पुरुष करते हैं ईसर जी का श्रृंगार

वैसे तो लोकपर्व गणगौर लगभग पूरे राजस्थान में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन शेखावाटी के बड़ागांव का गणगौर मेला अपने आप में अनूठा है। यहां तीन सौ साल से भी ज्यादा समय से गणगौर मेला भरता आ रहा है। ज्यादातर जगहों पर गणगौर की सवारी अकेली ही निकलती है, लेकिन उदयपुरवाटी क्षेत्र के बड़ागांव में सबसे पहले ईसर की सवारी निकलती है। इसके बाद बड़ी संख्या में सजी-धजी गणगौर की सवारी निकलती है। खास बात यह है कि ईसर की सवारी किस घर से निकलेगी, यह जानने के लिए एक साल पहले बुकिंग करानी पड़ती है। गांव में एक घर से ईसर निकलती है, जबकि जितनी महिलाएं गणगौर का उद्यापन (उजिना) करती हैं, उतने ही घरों से गणगौर निकलती है। गांव निवासी रिटायर्ड आर्मी कैप्टन नवल सिंह ने बताया कि वर्ष 2016-17 में एक साथ 27 गणगौर सवारी निकाली गई। गणगौर के दिन महिला का मायका परिवार अपनी बहन और बहन के ससुराल के सदस्यों के लिए अपनी क्षमता के अनुसार कपड़े, मिठाई और उपहार लाता है।

पुरुष करते हैं ईसर का श्रृंगार
कई वर्षों से ईसर का श्रृंगार करने वाले उम्मेद सिंह ने बताया कि गणगौर का सोलह श्रृंगार महिलाएं करती हैं, जबकि ईसर का श्रृंगार पुरुष करते हैं।

गणगौर 31 मार्च को
इस बार गणगौर का व्रत 31 मार्च को रखा जाएगा। इस बार तृतीया तिथि का क्षय हो गया है, इसलिए यह लोकपर्व द्वितीया के साथ तृतीया को मनाया जाएगा। इससे एक दिन पहले सिंजारा मनाया जाएगा।

गोपीनाथ मंदिर में इनका एकत्रीकरण किया जाता है
गांव निवासी अशोक सिंह शेखावत ने बताया कि अपने-अपने घरों से निकाली गई गणगौर को सबसे पहले गोपीनाथ मंदिर लाया जाता है। शाम करीब पौने तीन बजे गणगौर की सवारी शुरू होती है और गांव के मुख्य मार्गों से होते हुए मेला मैदान पहुंचती है। वहां गणगौर पूजने वाली महिलाएं आंसुओं के साथ उन्हें कुएं में फेंकती हैं। बड़ी गणगौर को वापस लाया जाता है। ईसर पहले हर गणगौर को उसके घर छोड़ता है और फिर अंत में खुद जाता है।