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Sriganganagar नहाय-खाय के साथ कल से शुरू होगा लोक आस्था का 4 दिवसीय छठ पर्व, तैयारी पूरी

 
Sriganganagar नहाय-खाय के साथ कल से शुरू होगा लोक आस्था का 4 दिवसीय छठ पर्व, तैयारी पूरी 
श्रीगंगानगर न्यूज़ डेस्क, श्रीगंगानगर  लोक आस्था का महापर्व छठ 17 नवंबर से शुरू हो रहा है. छठ भगवान सूर्य की उपासना का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. शहर भर में बड़ी संख्या में व्रती महिलाएं भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घाटों पर पहुंचेंगी. छठ पर्व की तैयारी में लोग नहरों के किनारे वेदियां बनाने में जुट गये हैं, लेकिन यहां अव्यवस्था का बोलबाला है. यहां गंदगी के कारण किनारे पर बैठना भी मुश्किल है। कई दिनों से अलग-अलग समितियां अपने स्तर पर सफाई करा रही हैं। कृत्रिम तालाब बनाकर पूजा की तैयारी की जा रही है. नदी-नालों के तटों पर वेदियां सजाई जा रही हैं और घाटों का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। शुक्रवार से विवाहित महिलाएं नहाय खाय, खरना पूजा, संध्या अर्घ्य लेकर उगते सूर्य देव को अर्घ्य देंगी और छठ मैया से अपने बच्चों की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और परिवार के कल्याण का आशीर्वाद मांगेंगी। छठ व्रत के दौरान श्रद्धालु 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं। इस दौरान छठ व्रती डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद पारण किया जाता है.

लोग छठ पर्व के लिए खरीदारी कर रहे हैं. छठ की खरीदारी को लेकर बाजार भी गुलजार हो गया है. पर्व को लेकर व्रतियों व उनके परिजनों ने कपड़े, सूप, दउड़ा आदि की खरीदारी शुरू कर दी है. बाजार भी तैयार है. लोगों ने खरीदारी भी शुरू कर दी है. हालांकि, पिछले साल की तुलना में इस साल सूप, मिट्टी का चूल्हा, आम की लकड़ी और दउड़ा की कीमतों में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है. छठ पूजा में बास से बने सूप और टोकरी का अपना ही महत्व है. इसमें छठ का प्रसाद घाट तक ले जाया जाता है. जो अर्घ्य दिया जाता है वह बांस के कटोरे से दिया जाता है।

17 नवंबर को नहाय खाय: छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होगी. इसमें लौकी और चावल का सेवन किया जाता है. व्रती महिलाएं घर के एक कमरे में पूजा करती हैं और अखंड ज्योत जलाती हैं।

18 नवंबर को खरना: इस दिन छठ व्रत करने वाले लोग गुड़ की खीर बनाकर सबसे पहले भगवान को भोग लगाते हैं, जिसके बाद इसे प्रसाद के रूप में बांट दिया जाता है. छठ पर्व के दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है. खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का उपवास शुरू हो जाता है.

19 नवंबर को सायंकालीन अर्घ्य: 19 नवंबर यानी कि खरना के बाद डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. गंगाजल और दूध से अर्घ्य देने की परंपरा है. 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. मान्यता है कि छठ पूजा संतान के बेहतर स्वास्थ्य, दीर्घायु और सफलता के लिए की जाती है।

उदयगामी अर्घ्य 20 नवंबर को: व्रती महिलाएं उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं. सुबह के समय तालाब के पानी में खड़े होकर सूर्य देव को जल चढ़ाते हैं और अर्घ्य के बाद सुहागिन महिलाओं द्वारा मांग भरने की रस्म निभाई जाती है। पूजा के बाद ठेकुआ का प्रसाद बांटा जाता है.