इस नई तकनीक से किसान पाएंगे खरपतवार से छुटकारा, पैदावार में होगी जबरदस्त इजाफा

सिरोही न्यूज़ डेस्क - अगर आप भी किसान हैं और अपनी फसल को बढ़ाना चाहते हैं तो इस खास तकनीक का इस्तेमाल कर अपनी पैदावार बढ़ा सकते हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं मल्चिंग तकनीक की। सिरोही जिले के आमथला तपोवन में इस तकनीक से खेती कर उत्पादन बढ़ाने में सफलता मिली है। यहां खेती कर रहे ब्रह्माकुमारी संस्थान के बीके शरत भाई ने बताया कि यहां की जा रही खेती में मल्चिंग तकनीक अपनाने से फसल खरपतवार से बच जाती है। फसल के आसपास उगने वाले खरपतवार फसल को कई तरह से नुकसान पहुंचाते हैं।
मल्चिंग तकनीक से खेती कैसे करें
बीके शरत भाई ने बताया कि मल्चिंग मिट्टी की सतह को जैविक या अकार्बनिक पदार्थ से ढकने की कृषि और बागवानी तकनीक है। यहां बुवाई से पहले प्लास्टिक मल्च (शीट) बिछाई जाती है। जिस जगह बीज बोने होते हैं, वहां छोटे-छोटे छेद कर दिए जाते हैं। इसके बाद ड्रिप सिस्टम से सिंचाई की जाती है। फसल की कटाई के बाद मल्च हटा दी जाती है। इससे पौधे के आसपास नमी कम हो जाती है और सीधी धूप नहीं आ पाती। बिना रोशनी और ऑक्सीजन के खरपतवार नहीं उगते।
मल्चिंग तकनीक से मिलेंगे ये फायदे
यह तकनीक मिट्टी की नमी को बनाए रखने में मदद करती है। फसल से खरपतवार को रोकने में मदद करने के साथ-साथ मिट्टी की संरचना को बेहतर बनाने में भी मदद करती है। इस तकनीक के इस्तेमाल से फसल के आसपास पानी से होने वाले मिट्टी के कटाव को रोकने में भी मदद मिलती है। उपज के नुकसान को कम करके किसान फसल की पैदावार बढ़ा सकते हैं। साथ ही इस तकनीक से पौधों को बीमारियों और कीटों से भी बचाया जा सकता है। इसमें इस्तेमाल होने वाले ड्रिप सिस्टम की वजह से सिंचाई के लिए भी कम पानी की जरूरत होती है और कम पानी वाले इलाकों में भी अच्छी खेती की जा सकती है।