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Sirohi अपनी अनूठी शिल्पकला के लिए मशहूर प्राचीन बावड़ी का अस्तित्व खतरे में

 
Sirohi अपनी अनूठी शिल्पकला के लिए मशहूर प्राचीन बावड़ी का अस्तित्व खतरे में 
सिरोही न्यूज़ डेस्क, सिरोही  पर्यटन स्थल माउंट आबू में पर्यटकों को अपनी बेजोड़ शिल्पकला के लिए आकर्षित करने वाली एवं देलवाड़ा जैन मंदिर क्षेत्र को जलापूर्ति करने का अहम पेयजल स्रोत रही प्राचीन बावड़ी वर्तमान में प्रशासनिक उपेक्षाओं का शिकार होकर दुर्दशा का शिकार हो गई है। यह प्राचीन बावड़ी वर्तमान में कचरागाह बनी हुई है।  यह प्राचीन ऐतिहासिक बावड़ी बेजोड़ शिल्पकला के लिए मशहूर रही है। कोई जमाने में यह पानी से लबालब रहती थी और जलापूर्ति का अहम स्रोत थी, लेकिन प्रशासन की अनदेखी से यह धरोहर बदहाल हो रही है। वर्तमान में ना तो इसकी साफ सफाई की जा रही और ना ही इसके जीर्णोद्धार की तरफ किसी का ध्यान है। ऐसे में इस धरोहर का अस्तित्व मिटने के कगार पर है।

प्राचीन जलस्रोतों का हो जीर्णोद्धार व सार संभाल

वर्तमान में उपलब्ध पेयजल स्रोत जरूरत के मुताबिक पानी की मांग को पूरा कर पाने में सक्षम साबित नहीं हो पा रहे हैं। दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते अन्य जगह से पानी लाने की संभावनाएं भी क्षीण हैं। हैंडपंप भी नकारा हो चले हैं। पानी की जरूरत पूरी करने को लोग पुन: कुओं, बावड़ियों, पोखरों व हैडंपपों की ओर रुख करने को विवश है। ऐसे में प्रशासन व आमजन की अनदेखी से कई प्राचीन जलस्रोत कचरागाह बने हुए हैं उनकी सुध लेकर साफ-सफाई और जीर्णोद्धार की आवश्यकता है। इस बावड़ी की सुध ली जाए तो यह जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम के साथ ही पेयजल का विकल्प बन सकती है।

कभी कम नहीं होता था इसका पानी

देलवाड़ा जैन मंदिर के बाहर स्थित इस ऐतिहासिक बाबड़ी से देलवाड़ा जैन मंदिर समूहों के निर्माण से लेकर क्षेत्र के बाशिंदों को पानी मुहैया होता था। अकाल के समय लोगों को भरपूर पानी देने के बावजूद भी इसमें पानी कभी कम नहीं होता था। आज यह बावड़ी कचरागाह बनी हुुई है। क्षेत्र की विभिन्न पुरातत्व महत्व की बावड़ियों, कुओं व पोखरों के साथ इस बावड़ी की यही हालत बनी हुई है।