Sirohi दीपोत्सव को लेकर बढ़ने लगी मिट्टी के दीयों की मांग
चाइना का सामान खरीदना पैसे बर्बाद करने जैसा
भावनगर सूरत से आए पर्यटक अशोक पटेल के अनुसार सस्ते दामों पर चीन में निर्मित बिजली बल्ब की रंगबिरंगी झालरें, लडिय़ां आदि सामान खरीदना पैसे बर्बाद करने जैसा है। लोगों में अब तेल के दीपक जलाने की प्रथा को बढ़ावा मिल रहा है। आकर्षक विद्युतीय उपकरणों को छोड़ तेल के दीपकों का उपयोग करने से ही दीपावली पर्व की सार्थकता सिद्ध होगी। लक्ष्मी का आह्वान दीपक जलाकर ही किया जा सकता है। कृत्रिम सस्ते विद्युतीय उपकरणों से नहीं।
दीये की लौ के आगे बिजली की चकाचौंध फीकी
बड़ौदा से आए पर्यटक दीपक प्रजापत के अनुसार पर्यावरण संरक्षण को देखते हुए कुम्हारों की ओर से निर्मित मिट्टी के दीपकों का उपयोग करना बिजली उपकरणों के बजाय बेहतर होता है। प्राचीन भारतीय संस्कृति के अनुरूप दीपावली मनाने की परिपाटी को लेकर युवा पीढ़ी में भी जागरूकता बढ़ी है। युवा पीढ़ी फिर से भारतीय संस्कृति को प्राथमिकता देकर परम्परागत मिट्टी के दीयों के प्रचलन को बढ़ावा दे रही है। दीयों की लौ के आगे अब बिजली की चकाचौंध भी फीकी पडऩे लगी है। दीपक विक्रेता शहीदा बानो का कहना है कि पर्यावरण को लेकर भी मिट्टी के दीपकों के प्रति फिर से लोगों का रूझान बढ़ा है। जिससे इस बार की दिवाली पर मिट्टी के दीपकों का अच्छा कारोबार होने की उम्मीद हैं।