Aapka Rajasthan

Sirohi शहर की सिरणवा पहाड़ी में बना मातर माता मंदिर का गौरवशाली इतिहास

 
Sirohi शहर की सिरणवा पहाड़ी में बना मातर माता मंदिर का गौरवशाली इतिहास

सिरोही न्यूज़ डेस्क,शहर के सिरनावा पहाड़ी में बना माता माता का मंदिर गौरवशाली इतिहास का गवाह है। मंदिर के चारों ओर हरियाली और पहाड़ी की गुफा में विराजमान मां का एक अलग ही चमत्कार है। शहरवासियों के लिए पहाडिय़ों से झरते झरने आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। नवरात्र में यहां जिले भर से श्रद्धालु आते हैं। शहर में माता माता के तीन मंदिर हैं। एक पहाड़ी की चोटी पर है जहां माता ने राजा को चमत्कार दिखाया था। दूसरा मंदिर नैवास से थोड़ा आगे पहाड़ी की गोद में बना है, जहां गरबा उत्सव होता है। देर रात तक श्रद्धालु डांडिया नृत्य करते हैं। नवरात्रि में मां के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। तीसरा मंदिर छोटी चिपौली में है जहां माता का जन्म हुआ था। जो भक्त अर्बुदा माता पर्वत के दर्शन करने जाते हैं, वे माता माता के दर्शन अवश्य करते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार माता का जन्म 1228 में छिपाओली में प्रेमाराम छीपा गोत्र सोलंकी भावसार के घर हुआ था। बचपन का नाम मोनी देवी था। प्रेमाराम अर्बुदा माता के भक्त थे। वह हर महीने अपनी मां से मिलने माउंट आबू जाया करते थे। एक दिन जब वह अपनी माता को देखने के लिए घर से निकल रहा था तो सामने से आने वाले लोगों ने संतान न होने के कारण उसका शकुन लेना उचित नहीं समझा। यह सुनकर प्रेम राम बहुत दुखी हुए। प्रेमाराम ने अर्बुदा माता के चरणों में प्रणाम किया और प्रार्थना की कि माता अब मैं बूढ़ा हो गया हूं, इसलिए अब मैं दर्शन के लिए नहीं आ सकता। अर्बुदा माता ने अंतरात्मा से कहा कि अब तुम मत आना, मैं तुम्हारे घर आऊंगी।

कुछ समय बाद प्रेमाराम के घर एक कन्या का जन्म हुआ। धीरे-धीरे लड़की बड़ी हो गई। वह हमेशा दोस्तों के साथ लुकाछिपी खेलती थी। एक दिन राजा की गाड़ी छीपाओली से निकल रही थी। रास्ते में मोनी देवी खेल रही थी। राजा ने मोनी को रास्ते से हट जाने को कहा, लेकिन मोनी नहीं मानी तो राजा ने उसे जबरदस्ती रास्ते से हटा दिया। सवारी राजा के महल में गई। वहां जाकर देखा कि कुमकुम के घोड़े पर सवार होकर किसने मारा। इसके बाद राजा ने मोनी देवी और प्रेम राम को महल में बुला लिया। मोनी देवी सिरनावा की पहाड़ी पर गई और राजा को गुफा में माता माता के रूप में एक चमत्कार दिखाया। उन्होंने बताया कि सिरोही में चिप्पा समाज की बेटी जिसके चार माता-पिता (अर्थात् लड़की के माता-पिता, सास-ससुर जीवित होंगे) बाण की अंगुली से रक्त निकालकर राजतिलक का तिलक करेंगे। यह परंपरा आज भी जारी है। तिलक ने अब तक 37 राजाओं का शासन किया है। इसके बाद राजा ने पहाड़ी में एक भव्य मंदिर बनवाया। यहां छिप्समाज की एक धर्मशाला भी है, जहां चैत्र शुद्ध चौदस समाज का मेला लगता है। यह जानकारी नामदेव समाज महासंघ के अध्यक्ष हंजरीमल चिपा, उपाध्यक्ष रामलाल, सचिव राजेश कुमार ने दी।