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Sikar परिसीमन के कारण इन 8 ग्राम पंचायतों का क्षेत्र प्रभावित होगा

 
Sikar परिसीमन के कारण इन 8 ग्राम पंचायतों का क्षेत्र प्रभावित होगा

सीकर न्यूज़ डेस्क, 2019 में 50 से 65 किए गए थे वार्ड : सीकर नगर परिषद में 65 वार्ड हैं। ये संख्या 2019 में बढ़ाई गई थी। 2014 के चुनाव से पहले 45 वार्ड थे। इसके बाद वार्डों की संख्या 50 हुई। ये 15 वार्ड शहरी सीमा क्षेत्र का विस्तार कर बढ़ाए गए।

दो थाना क्षेत्रों में नहीं बंटेंगे वार्ड : स्वायत्त शासन विभाग के निर्देशों के मुताबिक शहरी विस्तार के साथ परिसीमन भी किया जाएगा। इसके तहत मौजूदा 65 वार्डों की सीमाओं में बदलाव होगा। इन वार्डों का सीमांकन ऐसे होगा कि वह दो थाना क्षेत्रों के बीच में नहीं आए। यानी एक वार्ड की सीमा एक थाना क्षेत्र में ही आएगी। इससे कोई भी अपराध या घटना होने पर थानों के बीच सीमा क्षेत्र को लेकर होने वाली गफलत भी नहीं रहेगी।

नगर परिषद में पांच साल बाद वार्डों का पुनर्गठन होगा। निकाय चुनाव अब नई अधिसूचना के अनुसार होंगे। ऐसे में शहरी विस्तार से आगामी निकाय चुनाव पर भी असर पड़ेगा। नए आदेशों के तहत 30 दिसंबर तक वार्डों के परिसीमन का प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। इसके बाद 19 जनवरी 2025 तक परिसीमन के प्रस्ताव पर आपत्ति-सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे।

20 जनवरी से 8 फरवरी तक वार्ड गठन प्रस्ताव, आपत्ति-सुझाव पर टिप्पणी सहित राज्य सरकार को भेजा जाएगा। 9 फरवरी से एक मार्च तक राज्य सरकार स्तर पर आपत्ति-सुझाव का निस्तारण व अनुमोदन किया जाएगा। वार्डों के परिसीमन में शहर के आसपास की आठ ग्राम पंचायतों का एरिया प्रभावित होगा। इनमें राधाकिशनपुरा, शिवसिंहपुरा, गोकुलपुरा, चंदपुरा, नानी, सबलपुरा, भैरूंपुरा व कुड़ली ग्राम पंचायतें शामिल हैं। इन ग्राम पंचायतों के क्षेत्र को नगर परिषद में शामिल किया गया है। प्रस्ताव के मुताबिक सीकर के बाहर से गुजरने वाली रिंग रोड के अंदर के आबादी क्षेत्र को नगर परिषद में मिलाया जा सकता है। पिपराली रोड पर सोढ़ाणी फार्म हाउस के आगे का हिस्सा, धोद रोड पर जयपुर-बीकानेर बाइपास के अंदर का भाग, नवलगढ़ रोड पर बाइपास चौराहा के अंदर तक परिसीमन के दायरे में लिया जा सकता है। जयपुर-बीकानेर बाइपास पर अंदर गोकुलपुरा व चंदपुरा पंचायत का हिस्सा शामिल करने की संभावना है। ^सीकर में पहले ही 65 वार्ड हैं। अभी परिसीमन का कोई मतलब भी नहीं है। ये महज चुनाव को टालने का प्रयास है। सरकार की गाइड लाइन भी स्पष्ट नहीं है। उसमें संशोधन की जरूरत है।