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Navratri 2025: राजस्थान के इस सिद्ध शक्तिपीठ को तह-नहस करने आया था औरंगजेब, माता के चमत्कार से सेना का हुआ ऐसा हाल

 
Navratri 2025: राजस्थान के इस सिद्ध शक्तिपीठ को तह-नहस करने आया था औरंगजेब, माता के चमत्कार से सेना का हुआ ऐसा हाल 

राजस्थान के शक्ति पीठों में से एक प्रसिद्ध प्राचीन शक्ति पीठ जीण माता मंदिर सीकर जिले के निकट अरावली पर्वत श्रृंखलाओं की तीन श्रेणियों के बीच स्थित है। जीण माता का मंदिर शक्ति, भक्ति, आस्था और चमत्कार के कारण देशभर में प्रसिद्ध है। इसके साथ ही इसे हर्ष नामक भाई-बहन के अटूट बंधन के रूप में भी जाना जाता है। मान्यता है कि मां जीण भवानी के दरबार में शीश झुकाकर मनोकामना मांगने से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं। यह भी कहा जाता है कि पहाड़ी की चोटी पर बनी मां जीण की तपस्थली काजल शिखर पर अखंड ज्योत धूनी से आंखों में काजल लगाने से नेत्र रोग दूर होते हैं।

नवरात्रि में 9 दिन तक भरेगा लक्खी मेला
चैत्र शुक्ल की नवरात्रि में जीण माता का 9 दिवसीय लक्खी मेला भरेगा। इसमें देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु मां जीण भवानी का ध्वज लेकर जीण धाम पहुंचते हैं। कई साल पहले यहां पशु बलि और शराब चढ़ाने की प्रथा भी थी, लेकिन अब इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है।

जान बचाकर भाग गई थी मुगल सेना
पौराणिक मान्यताओं के अलावा एक ऐतिहासिक घटना भी काफी प्रसिद्ध है। दरअसल, मुगल बादशाह औरंगजेब की सेना ने इसे नष्ट करने के लिए हमला किया था। शेखावाटी के मंदिरों को नष्ट करते हुए जब सेना जीण माता मंदिर की ओर बढ़ने लगी तो वहां मौजूद भक्तों ने मां जीण से बचाने की गुहार लगाई। इसके बाद मधुमक्खियों ने औरंगजेब की सेना पर हमला कर दिया। मधुमक्खियों के हमले से औरंगजेब की सेना युद्ध के मैदान में अपने पैर खो बैठी और सैनिक अपनी जान बचाने के लिए वापस भाग गए।

मंदिर में औरंगजेब की सेना के ढोल और तुरही आज भी मौजूद हैं
यह दृश्य देखकर वहां मौजूद भक्तों ने इसे माता जीण का चमत्कार माना। सेना के साथ लौटते समय मुगल शासक औरंगजेब ने भी मां के दरबार में माथा टेका। औरंगजेब ने माफी मांगी और मां के दरबार में चांदी का छत्र चढ़ाया। उन्होंने मंदिर में जलने वाली अखंड ज्योति के लिए दिल्ली दरबार से तेल भेजने का भी वचन दिया। इसके साथ ही औरंगजेब की सेना के आगे चलने वाले ढोल-नगाड़े भी जीण माता के मंदिर में छोड़ गए थे, जो आज भी मंदिर में रखे हुए हैं। सेना में भर्ती हुए एक मुस्लिम सैनिक ने भी मां जीण की सेवा के लिए अपने परिवार को यहीं छोड़ दिया था। उनके वंशज आज भी जीण माता मंदिर की सीढ़ियां धोने का काम करते हैं।