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सिरोही घूमने का बना रहे है प्लान तो इन ऐतिहासिक जगहों को भूलकर भी ना करे मिस, यादगार बन जाएगा ट्रिप

 
सिरोही घूमने का बना रहे है प्लान तो इन ऐतिहासिक जगहों को भूलकर भी ना करे मिस, यादगार बन जाएगा ट्रिप 

राजस्थान के सीमावर्ती जिले सिरोही का स्थापना दिवस 29 अप्रैल को मनाया जाएगा। आज हम आपको सिरोही की पहचान माने जाने वाले स्थानों, मंदिरों और इमारतों के बारे में बताने जा रहे हैं। अगर आप भी यहां घूमने आ रहे हैं तो इन जगहों को देखना न भूलें।जिला मुख्यालय पर बना यह किला वर्तमान में पूर्व राजपरिवार की संपत्ति है। इस किले के दरवाजे साल में एक दिन आम जनता के लिए खुलते हैं। 1425 ई. में देवड़ा शासक शिवभान के पुत्र सहस्त्रमल ने सिरोही के किले का निर्माण कराया था। बाद में लाखा अखेराज द्वितीय और अन्य शासकों ने इसमें कई निर्माण करवाए।

जिले के पिंडवाड़ा उपखंड के बसंतगढ़ गांव की एक पहाड़ी पर आज भी इस किले के अवशेष दिखाई देते हैं। इस किले का निर्माण मेवाड़ के शासक महाराणा कुंभा ने 1433-1468 ई. में करवाया था। कुंभा ने गुजरात के आक्रमणकारियों से अपनी रक्षा करने तथा अपने राज्य के विस्तार की योजना बनाने के लिए बसंतगढ़ की पहाड़ियों पर इस विशाल क्षेत्र में किला बनवाया था।हिल स्टेशन माउंट आबू से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर एक पहाड़ी पर बना अचलगढ़ किला अब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है, लेकिन एक समय में यह सबसे शानदार किलों में से एक था। इस किले का निर्माण परमार शासन के दौरान हुआ था। बाद में महाराणा कुंभा ने इसका पुनर्निर्माण करवाया।

जिले के आबू रोड उपखंड में गुजरात सीमा के पास एक छोटा सा गांव चंद्रावती कभी परमार और देवड़ा शासकों की राजधानी थी। यहां के शानदार शहर को आक्रमणकारियों ने कई बार लूटा। पुरातत्व विभाग द्वारा की गई खुदाई के दौरान यहां मिली संरचनाएं, मूर्तियां और प्राचीन वस्तुएं चंद्रावती संग्रहालय और माउंट आबू के राजभवन संग्रहालय में सुरक्षित रखी गई हैं।सिरोही शहर से करीब 3 किलोमीटर दूर सिरनावा की पहाड़ियों पर बना सारणेश्वर महादेव मंदिर सिरोही का आराध्य देव माना जाता है। इस मंदिर का इतिहास वीरता और पराक्रम की कहानी कहता है। यहां स्थित शिवलिंग को गुजरात के रुद्रमल शिवालय से ले जा रही मुगल सेना से बचाकर सिरोही की सेना ने स्थापित किया था।

1298 ई. में जब दिल्ली का शक्तिशाली सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी अपनी हार का बदला लेने के लिए बड़ी सेना के साथ सिरोही पर आक्रमण करने आया तो रेबारी समुदाय के लोगों ने सिरांवा पहाड़ी से गुलेल से उस पर हमला कर दिया। जिससे मुगल सेना को फिर हार का सामना करना पड़ा। वर्ष में एक दिन देवउठनी एकादशी पर मंदिर रेबारी समुदाय को सौंप दिया जाता है। इस दिन दो दिवसीय मेला भी लगता है।

सिरोही जिले के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक आबूरोड के उमरानी गांव में अरावली पहाड़ियों के बीच बने इस मंदिर का इतिहास करीब 5 हजार साल पुराना है। राजा अम्बरीष ने यहां तपस्या की थी। इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ऋषिकेश अवतार में प्रकट हुए थे। राजा ने अपने वरदान में उन्हें इसी अवतार में यहां विराजमान होने को कहा था। मंदिर की संरचना बहुत प्राचीन है। इसका समय-समय पर सिरोही के शासकों द्वारा पुनर्निर्माण करवाया गया है। जिले के वर्मन गांव का प्राचीन ब्रह्माण्ड स्वामी सूर्य मंदिर सबसे पुराना सूर्य मंदिर है। मान्यता है कि इस मंदिर की संरचना ऐसी है कि सूर्य की पहली किरण सीधे मंदिर के गर्म कुंड पर पड़ती है। इस मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में हुआ था। इसके बाद 10वीं शताब्दी में इसका जीर्णोद्धार करवाया गया। वर्तमान में यह पुरातत्व विभाग के अधीन है। मंडप में एक प्राचीन शिलालेख भी है, जिस पर विक्रम संवत 1315 अंकित है।