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Sikar पिछले चुनाव की तुलना में इस बार भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवारों ने बदला अपना चुनाव चिन्ह

 
Sikar पिछले चुनाव की तुलना में इस बार भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवारों ने बदला अपना चुनाव चिन्ह

सीकर न्यूज़ डेस्क, सीकर सियासत की डगर पर चलना संभल-संभलकर, चेहरे अब भी वही हैं सिंबल बदल- बदलकर... विधानसभा चुनाव में कड़े मुकाबले के बीच खंडेला में ये रोचक चर्चा आम है। दरअसल यहां भाजपा प्रत्याशी सुभाष मील और कांग्रेस प्रत्याशी महादेव सिंह खंडेला के सामने निर्दलीय मैदान में उतरे पूर्व विधायक बंशीधर बाजिया ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना रखा है। ये तीनों ही वे उम्मीदवार हैं जो पिछले चुनाव में भी त्रिकोणीय मुकाबले में थे। पर इस बार दल-बदल व बगावत से ऐसा समीकरण व संयोग बना है कि तीनों के चुनाव चिन्ह ही आपस में बदल गए हैं, जो सियासी गलियारों व आम मतदाताओं में खासी चर्चा का विषय बन गए हैं।

बगावत से सिंबल की अदला- बदली

खंडेला में 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव में सुभाष मील कांग्रेस और बंशीधर बाजिया ने भाजपा से चुनाव लड़ा था। कांग्रेस से टिकट कटने पर महादेव सिंह खंडेला निर्दलीय चुनाव में उतरे थे। ऐसे में चुनाव में सुभाष मील का का चुनाव चिन्ह हाथ, बंशीधर बाजिया का कमल और महादेव सिंह को कैंची आवंटित हुआ। लेकिन, इस बार कांग्रेस से महादेव सिंह खंडेला को टिकट दिए जाने पर बागी हुए सुभाष मील को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है। भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर उसके पिछले चुनाव के उम्मीदवार बंशीधर बाजिया निर्दलीय चुनाव मैदान में है। उन्हें निर्वाचन विभाग ने चुनाव चिन्ह कैंची आवंटित किया है, जो संयोग से पिछले चुनाव में निर्दलीय महादेव सिंह खंडेला को भी मिला था। पिछले ऐसे में पिछले चुनाव के तीनों उम्मीदवारों के सिंबल इस चुनाव में आपस में ही बदल गए हैं।

कांग्रेस व निर्दलियों का बराबर दबदबा

1967 के चुनाव में वुजूद में आए खंडेला में अब तक निर्दलियों का अच्छा दबदबा रहा है। निर्दलीय यहां कांग्रेस के बराबर चार बार जीत चुके हैं। हालांकि उनमें दो बार महादेव सिंह खंडेला कांग्रेस से ही बागी होकर निर्दलीय के रूप में जीते। वहीं, भाजपा दो , जनता पार्टी व जनता दल एक- एक बार जीत चुके हैं।

रोचक हुआ मुकाबला

खंडेला में इस बार भी मुकाबला काफी रोचक हो गया है। बंशीधर बाजिया व महादेव सिंह खंडेला के पास चुनाव का पुराना अनुभव व गिनाने के लिए विधायककालीन उपलब्धियां हैं, तो कांग्रेस से भाजपा में आए मील को दोनों दलों के मतदाताओं से समर्थन मिलने की उम्मीद व युवाओं की टीम पर भरोसा है। असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा सरमा ने भाजपा व कन्हैया कुमार ने कांग्रेस के पक्ष में सभा कर सियासी रंग को और सुर्ख कर दिया है।