Sikar नई फसल आते ही 1000 रुपए प्रति क्विंटल सस्ता बिकने लगा जाै, 2100 रु.

माल्ट कारोबारी महेश जैन व संपत अग्रवाल का कहना है कि सीकर मंडी में इस साल जौ की आवक पिछले साल के मुकाबले ज्यादा है। दूसरा पुराना स्टॉक होने के कारण इस बार माल्ट कंपनियों से भी जौ की खरीद शुरू नहीं की जा सकी है. ऐसे में बाजार में आवक के हिसाब से खरीदार नहीं मिल रहे हैं। व्यापारियों के अनुसार बाजार में जौ के थोक भाव में गिरावट का मुख्य कारण इस बार जौ का विदेशी आयात अधिक होना है। दूसरा स्थानीय स्तर पर पाला-शीत लहर की चपेट में आने से गुणवत्ता भी कमजोर हो रही है। इस वजह से माल्ट कंपनियों की मांग पिछले साल के मुकाबले कम है।
सीकर मंडी में हर साल दिल्ली, गुड़गांव, पंजाब और हरियाणा से खरीदार जौ खरीदने आते हैं। इस बार बाहरी व्यापारियों की अनुपलब्धता के कारण पशु चारा निर्माताओं द्वारा जौ का उपयोग पशुओं के चारे में किया जा रहा है। ऐसे में एक माह से खल-चूड़ी के भाव स्थिर हैं। कारोबारियों के मुताबिक यूक्रेन युद्ध के कारण पिछले साल जौ का विदेशी आयात नहीं हुआ था। इस बार कनाडा और यूक्रेन से जौ का आयात बढ़ने की उम्मीद है। दूसरा, माल्ट कंपनियों के पास जमा जौ का एडवांस स्टॉक भी है। ऐसे में बाजार के हालात को देखते हुए इस बार जौ की कीमतों में अच्छी खासी बढ़ोतरी की संभावना है।