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राजस्थान में स्थित 23 मीनारें, जलकुंड और सुरंगों वाला अनोखा किला! लाख कोशिशों के बाद भी नहीं टूटते पत्थर, वैज्ञानिक भी हैरान

 
राजस्थान में स्थित 23 मीनारें, जलकुंड और सुरंगों वाला अनोखा किला! लाख कोशिशों के बाद भी नहीं टूटते पत्थर, वैज्ञानिक भी हैरान 

लक्ष्मणगढ़ किला राजस्थान के सीकर में स्थित है। यह किला एक अद्भुत उदाहरण है। यह अपनी वास्तुकला के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इसका निर्माण राव राजा लक्ष्मण सिंह ने 19वीं शताब्दी में करवाया था। यह किला 300 फीट ऊंचा है और इसमें 23 मीनारें हैं।

राजस्थान के सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ में स्थित किला न केवल राजस्थान में बल्कि पूरे भारत में अपनी विशेष पहचान रखता है। यह किला अपनी संरचना, वास्तुकला और स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है। लक्ष्मणगढ़ किले का निर्माण राव राजा लक्ष्मण सिंह ने 19वीं शताब्दी में करवाया था।

यह किला एक चट्टान पर बना है। यहां राजपूत और मुगल वास्तुकला का एक साथ बेजोड़ नमूना देखने को मिलता है। इस किले का निर्माण 1805 में शुरू हुआ था। किले का निर्माण 2 साल के भीतर ही हो गया था। इस किले पर 1882 में खेतड़ी, फतेहपुर और मंडावा के शासकों ने कई बार हमला किया था।

हमलों से बचने के लिए राजा ने डूंगजी जवाहर जी की मदद ली थी। किले पर आज भी बंदूकों के निशान देखे जा सकते हैं। इस किले में आज भी वो तोपें हैं, जिनका इस्तेमाल दुश्मनों पर हमला करने के लिए किया जाता है। राजाओं ने कभी इस किले का इस्तेमाल रहने के लिए नहीं किया।

आजादी के बाद राव राजा कल्याण सिंह की आमदनी बंद हो गई। उन्हें सिर्फ पेंशन मिल रही थी, जो पूरी नहीं हो पा रही थी। इसे देखते हुए उन्होंने संपत्तियां बेचनी शुरू कर दीं। 1960 में झुनझुनवाला के कल्याण सिंह ने इसे खरीद लिया। तब से आम लोग इस किले में नहीं जा सकते।

लक्ष्मणगढ़ किला अपनी बेजोड़ वास्तुकला के लिए पूरे भारत में मशहूर है। इस किले को बनाने में मजबूत, भारी और फिसलन वाले पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था। इस किले की दिलचस्प बात यह है कि इन पत्थरों को न तो छेनी और न ही हथौड़ा तोड़ सकता है।किले के अंदर 25 फीट गहरे छह विशाल पानी के टैंक हैं। इन्हें युद्ध के दौरान पानी के भंडारण के लिए बनाया गया था। किले में सुरंगें हैं, जो हमले के दौरान सुरक्षित भागने के रास्ते के तौर पर काम आती हैं।