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Sikar जांच में डेंगू-मलेरिया नहीं, फिर भी एक लाख तक गिर रही प्लेटलेट्स

 
Sikar जांच में डेंगू-मलेरिया नहीं, फिर भी एक लाख तक गिर रही प्लेटलेट्स

सीकर न्यूज़ डेस्क, सीकर वायरल फीवर का एक नया रूप इन दिनों परेशानी का सबब बन रहा है। प्रभावित मरीजों में डेंगू-मलेरिया जैसे लक्षण होते हैं। तेज बुखार के साथ प्लेटलेट्स एक लाख तक पहुंच रहे हैं, लेकिन डेंगू-मलेरिया के लिए टेस्ट पॉजिटिव नहीं है। प्रभावित मरीजों को ठीक होने में तीन गुना अधिक समय लग रहा है। चिकित्सा विज्ञान से जुड़े जानकारों के मुताबिक इसका मुख्य कारण वायरल फीवर वायरस में बदलाव है। इस बार नमी का ग्राफ काफी देर तक ऊंचा बना रहा। इससे वायरल फीवर का वायरस उत्परिवर्तित हो गया। नतीजतन, पिछले सात दिनों में एसके अस्पताल में आए 11,534 मरीजों में से 6944 मरीज वायरल हैं। इनमें से 80 प्रतिशत 20 से 45 वर्ष के आयु वर्ग के हैं। वायरल फीवर से ठीक होने में मरीजों को 12 से 15 दिन का समय लग रहा है। सबसे आम शिकायतें तेज बुखार और थकान हैं। जांच में मिले-जुले संक्रमण के मामले भी सामने आ रहे हैं।

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नए प्रकार के वायरल बुखार में अचानक ठंड लगना, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, लाल आंखें, भूख न लगना, माथे पर गर्मी का अहसास, उल्टी-दस्त, सर्दी-जुकाम, नाक बहना, सिरदर्द, शरीर में दर्द जैसे लक्षण शामिल हैं। उल्टी या दस्त हो रहा है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एसएन बिजरानिया का कहना है कि वायरल फीवर से सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित होते हैं। ओपीडी अचानक दोगुनी हो गई है। जनाना अस्पताल में रोजाना 40 से ज्यादा बच्चे इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। बच्चों में तेज बुखार का असर लीवर पर भी पड़ रहा है, इसलिए हल्का पीलिया भी हो रहा है। वायरल के कारण कई बच्चों को नेब्युलाइजर के जरिए दवा देनी पड़ रही है। टाइफाइड के लक्षण वायरल बुखार के साथ-साथ टाइफाइड और हल्का पीलिया के भी लक्षण दिखाई देते हैं। पांच दिन तक दवा लेने के बाद भी प्रभावित मरीज ठीक नहीं हो रहे हैं। मरीजों को दोबारा जांच के लिए आना पड़ता है। वायरल फीवर से बच्चे और युवा सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। निजी अस्पतालों की ओपीडी में भी कई मरीज पहुंच रहे हैं।

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