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Sikar में 169 करोड़ रुपए खर्च कर सुधारी जा सकती थी कई गांवों की पेयजल आपूर्ति व सड़कें

 
Sikar में 169 करोड़ रुपए खर्च कर सुधारी जा सकती थी कई गांवों की पेयजल आपूर्ति व सड़कें

सीकर न्यूज़ डेस्क, सीकर ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री रमेशचंद मीणा ने बुधवार को समीक्षा बैठक में वित्त आयोग की ओर से खाते में पड़े 169 करोड़ रुपये आवंटन पर कड़ी आपत्ति जताई. इस बैठक के बाद विशेषज्ञों से जानकारी जुटाई तो सामने आया कि जिला परिषद की लापरवाही के कारण यह बजट खर्च नहीं हो सका. इस बजट से गांवों में कई काम हो सकते हैं। जिले को मिले 169 करोड़ रुपये से जिला परिषद पंचायतों में सफाई अभियान, पेयजल, स्कूल-खेल के मैदान की चारदीवारी, आंतरिक सड़क, आंगनबाड़ी व अन्य सरकारी भवनों की मरम्मत व अन्य विकास कार्य करा सकती है. जानकारों के मुताबिक 75 फीसदी पैसा सीधे ग्राम पंचायतों के खातों में जाता है. 20 फीसदी पैसा पंचायत समिति और 5 फीसदी जिला परिषद के खाते में आता है। एफएफसी के लिए एक वार्षिक योजना पंचायत द्वारा वर्ष के प्रारंभ में तैयार की जाती है। इसे पंचायत समिति व जिला परिषद की बैठक में स्वीकृत किया जाना है। जिला परिषद सीईओ हर माह कार्यों की समीक्षा करते हैं। अगर पंचायत खर्च नहीं कर पाती है तो जिला परिषद सीईओ कार्रवाई कर सकते हैं। सरपंच संघ के अध्यक्ष हनुमान प्रसाद झाझा से बात की तो उन्होंने कहा- मंत्री के दौरे से पहले 18 नवंबर को पंचायतों के खाते में करीब 30 करोड़ रुपये आए थे. कई ग्राम पंचायतें तो ऐसी हैं कि उनके पास बिजली का बिल भरने तक के पैसे नहीं हैं. उनका कहना है कि राज्य सरकार डेढ़ साल से अपना हिस्सा भी नहीं दे रही है.

जेटीए नहीं करेगा मापी : मीणा ने कहा, जेटीए (जूनियर टेक्निकल असिस्टेंट) विकास कार्यों की माप पुस्तिका भर रहा है। उन्हें यह अधिकार नहीं है। उन्होंने यह काम एईएन-जेन के माध्यम से कराने के निर्देश दिए। यदि इस आधार पर भुगतान किया जाता है तो बीडीओ जिम्मेदार होंगे एसएफसी-एफएफसी में अब तक जिले को 169 करोड़ रुपये आवंटित किए जा चुके हैं। इस वित्तीय वर्ष में 57 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। यह पैसा पंचायतों द्वारा खर्च किया जाता है। इसमें जिला परिषद का 5 फीसदी दखल है। मंत्री ने प्रगति में सुधार के निर्देश दिए हैं। इसका पालन किया जाएगा। -सुरेश कुमार, सीईओ, जिला परिषद बैठक में मंत्री ने पूछा कि नरेगा का ऐसा कौन सा अधिनियम है, जिसमें कार्यक्रम अधिकारी की नियुक्ति होती है. कोई भी अधिकारी सही जवाब नहीं दे सका। मंत्री ने कहा, नियम पढ़िए। नए अपडेट आते रहते हैं। आपको जानकारी होनी चाहिए। वाटरशेड व जल संरक्षण कार्यों में जमीनी कार्य के जवाब पर रमेश मीणा ने अधिकारियों से कहा, आप प्रक्रिया बता रहे हैं, आप काम नहीं करते. नीमकाथाना विधायक से बात करूंगा तो यह बात सामने आएगी कि आप कितनी बार मैदान में गए। जल संरक्षण के ऐसे कार्य किए जा रहे हैं, जो बारिश होते ही साफ हो जाते हैं। कमेटी से जांच कराएंगे तो आप कहेंगे- हम फंस गए। फतेहपुर विधायक हाकम अली ने कहा कि उनके क्षेत्र में कई ग्राम पंचायतें हैं, जिनमें बजट होने के बाद भी 4 साल से काम नहीं हुआ है. सरपंच ग्राम विकास अधिकारी को उचित जवाब नहीं देते हैं।