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श्याम भक्तों के लिए जरूरी सूचना! इस दिन खाटू नरेश के दर्शन नहीं कर पाएंगे लोग, जानिए क्या है असली कारण

 
श्याम भक्तों के लिए जरूरी सूचना! इस दिन खाटू नरेश के दर्शन नहीं कर पाएंगे लोग, जानिए क्या है असली कारण

सीकर न्यूज़ डेस्क - विश्व प्रसिद्ध बाबा श्याम मंदिर आज आम श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेगा। श्री श्याम मंदिर में आज रात 10 बजे शयन आरती होगी। इसके बाद 15 मार्च तक खाटूश्याम जी मंदिर आम श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेगा। 15 मार्च को शाम 5 बजे संध्या आरती के समय मंदिर के पट फिर से आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। मंदिर कमेटी ने श्रद्धालुओं से 15 मार्च के बाद खाटूश्याम जी मंदिर आने का अनुरोध किया है।

सीकर स्थित विश्व प्रसिद्ध बाबा श्याम मंदिर आज आम श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेगा। श्री श्याम मंदिर कमेटी के मंत्री मानवेंद्र सिंह ने यह जानकारी दी है। जारी सूचना के अनुसार खाटूश्याम जी मंदिर आज 13 मार्च को रात 10 बजे शयन आरती के बाद आम श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेगा।इसके बाद 14 मार्च को पूरे दिन बाबा श्याम मंदिर बंद रहेगा। इस दिन बाबा श्याम की विशेष पूजा-अर्चना और श्रृंगार किया जाएगा। फिर अगले दिन बाबा का तिलक श्रृंगार किया जाएगा। इसके बाद शाम पांच बजे संध्या आरती के समय मंदिर के पट आम श्रद्धालुओं के लिए फिर से खोल दिए जाएंगे। 

ऐसे में श्री श्याम मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं से 15 मार्च के बाद खाटूश्याम जी मंदिर आने का अनुरोध किया है। श्री श्याम मंदिर समिति के मंत्री मानवेंद्र सिंह ने पत्र लिखकर मंदिर बंद होने की जानकारी दी है। मंदिर बंद होने के बाद फाल्गुन लक्खी मेले के दौरान की गई सजावट भी हटा दी जाएगी और खाटूश्याम जी मंदिर को पुराने स्वरूप में लाया जाएगा। श्री श्याम मंदिर के मुख्य पुजारी मोहनदास महाराज ने बताया कि कृष्ण और शुक्ल पक्ष में बाबा श्याम का अलग-अलग श्रृंगार किया जाता है। 

कृष्ण पक्ष में बाबा को माथे से गालों तक तिलक के रूप में चंदन लगाया जाता है। इसे श्याम वर्ण रूप कहते हैं। बाबा महीने में 23 दिन श्याम वर्ण (पीले रंग) में रहते हैं। अमावस्या के दिन बाबा का विभिन्न प्रकार के द्रव्यों से अभिषेक किया जाता है। पवित्र जल से अभिषेक के बाद बाबा श्याम की मूर्ति अपने मूल स्वरूप में प्रकट होती है, इसे शालिग्राम रूप (काला रूप) कहते हैं। आपको बता दें कि खाटू बाबा 23 दिन तक काले रंग में और सात दिन तक शालिग्राम रूप में रहते हैं और श्रृंगार के साथ यह रूप बदलता रहता है।