Sawaimadhopur शादी में बिक रही हैं ख्वाहिशें, दहेज के नाम पर बर्बाद हो रहे करोड़ों रुपए

अच्छी नौकरी व वेतन तो दहेज भी अच्छा
अच्छी नौकरी एवं अच्छा वेतन पाने वाले युवाओं पर हर किसी का फोकस रहता है और इससे कोई भी समाज अथवा वर्ग अछूता नहीं है। हर कुलीन व्यक्ति अपनी बेटी के लिए अच्छा वर ढूंढने की मंशा में अधिक से अधिक दहेज देने की इच्छा रखता है और यह इच्छा भी लड़के वालों की दहेज लोलुपता को और बढा़ रही है। वर्तमान समाज में डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक सभी की अलग-अलग डिमांड है और लड़की के मां-बाप इन्हें पूरा भी कर रहे हैं। हालांकि दहेज की यह बातें बाहर नहीं आती, लेकिन शादी की भव्यताओं से इस बात का आंकलन लगाया जा सकता है।
नहीं होती कार्रवाई
यह सही है कि वर्तमान में सरकारी नौकरियों में ही सबसे ज्यादा दहेज है, जबकि नौकरी पाने वाले से इन सभी युवाओं से दहेज नहीं लेने का शपथ-पत्र एवं बोंड भरवाया जाता है। लेकिन विभागीय स्तर पर ये दस्तावेज सिर्फ खानापूर्ति होते हैं। बाद में इन्हें कोई उठाकर नहीं देखता और न ही ऐसे मामलों में कार्रवाई होती। प्र्राइवेट नौकरियों में दहेज पर रोक लगाने को लेकर कोई नियम नहीं बने हैं, लेकिन सरकारी नौकरी लगने से पहले युवाओं को दहेज नहीं लेने का शपथ एवं बोंड भरकर देना होता है। लेकिन ये सारे नियम और अच्छे आचरण की बातें बाद में फाइलों तक सिमट कर रह जाती है। फलस्वरूप जब तलाक के मामले सामने आते हैं तो इनमें दहेज उत्पीड़न का ही प्रमुखता से जिक्र होता है।
राज्य सरकार ने सरकारी नियुक्तियां देने से पहले दहेज को लेकर शपथ पत्र पेश करने का नियम बना रखा है। लेकिन दहेज को लेकर जितने मुकदमे दर्ज होते हैं, उसमें अधिकांश सरकारी कर्मचारियों के होते हैं। हालांकि प्राइवेट कर्मचारियों के इस तरह के मामले कम हैं, लेकिन प्राइवेट नौकरियों में दहेज रोकने को लेकर कोई नियम नहीं बने हैं। दहेज प्रथा को लेकर सख्त नियम बनने चाहिए। -