Sawaimadhopur एक कार्मिक के कंधों पर जिले में कौशल विकास का जिम्मा, कार्मिकों का पड़ा टोटा

सवाईमाधोपुर न्यूज़ डेस्क, सवाईमाधोपुर देशभर में स्किल इण्डिया कार्यक्रम पर काफी फोकस किया जा रहा है, लेकिन प्रदेश में कौशल विकास की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। जिले में युवाओं को रोजगार मिलना तो दूर की बात यहां पर प्रशिक्षण केन्द्रों का संचालन तक भी नहीं हो पा रहा है। इसका मुख्य कारण जिले सहित पूरे प्रदेश में कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों का जिम्मा उठाने वाली राजस्थान कौशल आजीविका विकास निगम (आरएसएलडीसी) में कार्मिकों की कमी है। निगम कार्यालय में जिला स्तर पर एक कार्मिक कार्यरत है। जबकि पहले आधा दर्जन पद भरे हुए थे। ऐसे में कौशल विकास कार्यक्रम ठप हो गए हैं। ऐसे में ना तो सरकार के उद्देश्य की पूर्ति हो पा रही है और ना ही युवाओं को योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है। ऐसे में कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम महज एक दिखावा बनकर रह गया है।
पूर्व में कौशल विकास में जिला अग्रणी था। पूर्व में जिले को कौशल विकास के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए 2016-17 में स्वर्ण पदक से भी सम्मानित किया गया था, लेकिन फिर 2018 में स्थिति बदलने लगी। 2018 के सितम्बर माह में सरकार की ओर से आरएसएलडीसी के अधिकतर पद समाप्त कर दिए गए। यह पद घटकर महज दो ही रह गए। इसमें से भी एक पद का नाम बदलकर जिला प्रबंधक से जिला कौशल समन्वयक कर दिया गया। जिला कौशल समन्वयक के अतिरिक्त महज एक कार्यालय सहायक का पद है। इसे भी इस साल मई माह से समाप्त कर दिया गया। इसके बाद आरएसएलडीसी में प्रदेश के सभी जिलों में महज एक- एक ही कार्मिक ही कार्यरत है। आरएसलडीसी में कार्मिकों के पद समाप्त होने से जिले में कौशल विकास का भार महज एक ही कार्मिक पर आ गया है। निगम के जिला कौशल समन्वयक को ही अब कार्मिकों की कमी के कारण प्रशिक्षण केन्द्र का निरीक्षण करना, प्रशिक्षणार्थियों की उपस्थिति को सत्यापित करना, एमआईएस पोर्टल को अपडेट करना, प्रशिक्षण कार्यक्रम को शुरू करने की अनुमति देना, मासिक बैठक में रिपोर्ट सब्मिट करना आदि कार्य करने पड़ रहे है।
13 प्रशिक्षण केन्द्र संचालित थे जिले में 2018 में
1 प्रशिक्षण केन्द्र संचालित है वर्तमान में जिले में
2 स्किल ऑइकन मिले थे जिले को 2018 तक
2018 के बाद से अब तक जिले को नहीं मिला स्किल ऑइकन
4000 से अधिक प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण दिया गया 2018 तक
500 से कम को ही प्रशिक्षित किया गया 2019-2022 तक