रणथंभौर की बाघिन टी-84 की हालत बिगड़ी, पेट में फोड़ा मिलने पर डॉक्टरों की टीम ने किया ऑपरेशन

सवाई माधोपुर न्यूज़ डेस्क - स्थित रणथंभौर टाइगर रिजर्व की एरोहेड के नाम से मशहूर बाघिन टी-84 के पेट के ट्यूमर का सफल ऑपरेशन किया गया। रणथंभौर के वन्यजीव चिकित्सकों ने बाघिन को ट्रैंकुलाइज कर उसका उपचार किया। इसके बाद उसे जंगल में छोड़ दिया गया। बाघिन के पेट के दाहिने हिस्से में ट्यूमर था। उसका ऑपरेशन कर फ्लूइड निकाला गया, जिसे जांच के लिए बरेली लैब भेजा जाएगा। इससे पहले 23 फरवरी 2024 को भी बाघिन का ऑपरेशन किया गया था, तब कूल्हे के जोड़ का ऑपरेशन किया गया था और प्रथम दृष्टया हड्डी में ट्यूमर होने की पुष्टि हुई थी।
बाघिन टी-84 के तीनों बच्चे हो गए हैं वयस्क
इस बाघिन टी-84 के तीन बच्चे हैं, और सभी वयस्क हो गए हैं। इनकी उम्र करीब 23 महीने है, जो मां के बिना भी शिकार करने लगे हैं। ऐसे में अब इन पर कोई खतरा नहीं है। उपचार के बाद बाघिन को जंगल में छोड़ दिया गया। बाघिन की लगातार निगरानी की जा रही है। तीन वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारियों के पशु चिकित्सा बोर्ड में डॉ. चंद्र प्रकाश मीना, डॉ. राजीव गर्ग, डॉ. अरविंद माथुर शामिल थे। उन्होंने बाघिन की सर्जरी की। बाघिन टी-84 का फ्लूइड थेरेपी, ऑक्सीजन थेरेपी और विटामिन, एंटीबायोटिक्स देकर इलाज किया गया।
रणथंभौर में हैं 75 बाघ, बाघिन और शावक
रणथंभौर में 75 बाघ, बाघिन और शावक हैं, जिनमें 26 बाघ, 27 बाघिन और 23 शावक शामिल हैं। वनकर्मी लगातार इनकी ट्रैकिंग कर रहे हैं। मॉनिटरिंग के दौरान पता चला कि बाघिन की तबीयत खराब है। जिसके बाद वनकर्मियों ने इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को दी। उच्चाधिकारियों ने डॉक्टरों से सलाह के बाद बाघिन का इलाज करने का फैसला किया और बाघिन को बेहोश कर उसका इलाज किया गया। इस मौके पर फील्ड डायरेक्टर अनूप केआर, उप वन संरक्षक रामानंद भाकर मौजूद थे।