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Sawaimadhopur रणथंभौर टाइगर रिजर्व के प्लास्टिक से बन रही टाइल्स, की जा रही रिसाइकिलिंग

 
Sawaimadhopur रणथंभौर टाइगर रिजर्व के प्लास्टिक से बन रही टाइल्स, की जा रही रिसाइकिलिंग
सवाईमाधोपुर न्यूज़ डेस्क, सवाईमाधोपुर  सवाई माधोपुर में रणथंभौर टाइगर रिजर्व के प्लास्टिक को रीयूज करने और रणथंभौर को प्लास्टिक मुक्त बनाने की दिशा में मुहिम शुरू की गई है। इसके तहत टाइगर रिजर्व एरिया में एक स्पेशल प्लांट लगाया गया है।इस प्लांट में वेस्ट प्लास्टिक को रिसाइकिल करके उससे टाइल्स बनाई जा रही है। दूसरे चरण में ब्रिक्स भी बनाई जाएगी। टाइगर रिजर्व में पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए यह नवाचार किया जा रहा है। इन टाइल्स और ब्रिक्स को औद्योगिक इकाइयों में काम में लिया जाएगा।

प्लास्टिक कचरा किया जा रहा इकट्ठा

रणथंभौर टाइगर रिजर्व के झूमर बावड़ी वन क्षेत्र में उबून्टू फाउंडेशन की ओर से एक प्लांट लगाया गया है। फाउंडेशन के कोऑर्डिनेटर तन्मय शर्मा ने बताया कि बिसलरी की ओर से रणथंभौर टाइगर रिजर्व में 'बोतल फोर चेंज' कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसमें उबून्टू फाउंडेशन इम्पीलिटेंशन पार्टनर का काम कर रही है। जिसके तहत पहले चरण में मुख्य रूप से रणथंभौर नेशनल पार्क के अंदरूनी इलाके से प्लास्टिक कचरा इकट्ठा किया जा रहा है। दूसरे चरण में रणथंभौर के होटल्स से कचरा लिया जाएगा।

बेलर मशीन से बनाए जाते है ब्रिक्स

इस कचरे को MLP (एक प्लास्टिक का प्रकार) बनाकर बेलर मशीन से ब्रिक्स बनाए जाते है। जिससे यह कचरा इधर-उधर नहीं फैलेगा।इसके बाद फाइव राइजर शेडर यूनिट से इसे 50 एमएम के टुकड़े बनाए जाएंगे। जिससे पेलेट बनाए जाएगे। यह पेलेट फ्यूल के रूप में काम करेगा। जिससे बायलर को जलाने और कई तरह की औद्योगिक इकाइयों में काम में लिया जाएगा। इसी तरह कचरे से प्लास्टिक की शीट और ब्रिक्स भी बनाई जाएगी।

पहले चरण में 3 पंचायतों को किया शामिल

रणथंभौर के जंगल को प्लास्टिक मुक्त बनाने के साथ ही 3 पंचायतों में भी उबून्टू फाउंडेशन की ओर से काम किया जा रहा है। जिसमें शेरपुर, खिलचीपुर, खटुपुरा पंचायत के लोगों को जागरूक किया जा रहा है। जिससे रणथंभौर टाइगर रिजर्व को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए जन आन्दोलन शुरू किया जा सके। इसे मुहिम बनाने के लिए ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए जाएंगे।

5 साल से इकट्ठा कर रहे प्लास्टिक

पिछले करीब 5 साल से रणथंभौर टाइगर रिजर्व के बाघ संरक्षण एवं ग्रामीण विकास समिति की ओर से 'मिशन बीट प्लास्टिक' अभियान की ओर से रणथंभौर के जंगल के प्लास्टिक और पॉलिथीन को इकट्ठा किया जा रहा है। जिसके चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने मन की बात में सवाई माधोपुर के इन युवाओं की प्रशंसा भी कर चुके है। जिसके बाद अब रणथंभौर में बिसलरी की ओर से यह प्लांट लगाया गया है।

फाइबर की तरह होगा कचरे से बनी शीटों का उपयोग

झूमर बावड़ी वन रक्षक चौकी के पीछे यह स्पेशल प्लांट लगाया गया है। जहां रणथंभौर के जंगल में स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से जो कचरा इकठ्ठा किया जा रहा है, उसे रिसाइकिल करने के बाद इस प्लास्टिक के कचरे से शीट बनाई जा रही है। इन शीटों का उपयोग फाइबर की तरह किया जा सकता है। ज्यादा प्रोडक्शन होने पर इन्हें औद्योगिक इकाइयों के लिए भेजा जाएगा। वहीं उबून्टू फाउंडेशन की ओर से रणथंभौर में दूसरे चरण में इको ब्रिक्स बनाई जाएगी।

कैसे बनती है ईको ब्रिक्स

ईको ब्रिक्स बनाने के लिए पानी की खाली बोतल या फिर कोल्ड ड्रिंक की खाली बोतल ली जाती है। जिसमे घर में उपयोग आने वाली सिंगल यूज प्लास्टिक थैलियों को बोतल में अच्छी तरह से भरा जाएगा। एक लीटर की बोतल में 350 से 400 ग्राम पॉलिथीन भरी जाएगी। इसके बाद इसे कुछ दिन सुखाने के लिए रखा जाएगा। इसके पूरी तरह सूख जाने के बाद इसे ही इको ब्रिक्स कहा जाता है।

MRF की सुविधा वाला पहला टाइगर रिजर्व

इस विशेष प्लांट के जरिए रणथंभौर को MRF (मेटेरियल रिकवरी फैसिलिटी) की सुविधा मिली है। इस सुविधा वाला रणथंभौर नेशनल पार्क पहला टाइगर रिजर्व है। इस सुविधा के शुरू होने से आसपास के प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा कर मशीन से ब्रिक्स में बदला जाएगा। इसके बाद लाइसेंस प्राप्त प्लास्टिक रिसाइकलर्स को बेचा जाएगा। यह प्लांट बिसलरी के सीएसआर फंड से लगाया गया है। इससे प्लास्टिक कचरे के निस्तारण में सहूलियत मिलेगी।इस प्लांट का उद्घाटन 30 जनवरी को हुआ था। शुभारंभ के मौके पर जिला कलेक्टर शुभम चौधरी, फिल्ड डायरेक्टर अनूप के.आर., डीएफओ प्रथम आर.एन. भाकर, पर्यटन विभाग के सहायक निदेशक मधुसुदन सिंह मौजूद रहे थे।

प्लास्टिक टाइल्स और अन्य टाइल्स में अंतर

सामान्य सिरेमिक और विट्रीफाइड टाइल्स की तुलना में अधिक लचीली और टूटने की संभावना कम।
पारंपरिक टाइल्स के मुकाबले कार्बन फुटप्रिंट कम होता है।
रिसाइकल्ड सामग्री से बनी होने के कारण प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव कम पड़ता है।
पारंपरिक टाइल्स की तुलना में रंग और डिजाइन के अधिक विकल्प मिल सकते हैं।
प्लास्टिक ब्रिक्स की विशेषताएं

बेहद मजबूत: पारंपरिक ईंटों से अधिक भार सहने की क्षमता।
हल्की: निर्माण के दौरान श्रम और ट्रांसपोर्टेशन की लागत कम होती है।
जलरोधी: पानी अवशोषण नहीं करतीं, जिससे दीवारों में सीलन नहीं आती।
थर्मल इन्सुलेशन: ठंड और गर्मी से बचाने में कारगर।
साउंड प्रूफिंग: सामान्य ईंटों की तुलना में ध्वनि अवशोषण अधिक कर सकती हैं।
लंबी उम्र: कम मेंटेनेंस के साथ ज्यादा समय तक टिकती हैं।

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